कृष्ण भजन
सुन लो पुकार मेरी कृष्ण कन्हैया।
पकड़ पतवार, मझधार मेरी नैया।
सुन लो......
भटक रही आज मुझे राह नहीं सूझे।
करो न निराश मुझे आस नहीं दूजे।
दिखा दो तुम राह मुझे वंशी बजैया।
सुन लो .......
दिल की तड़प मेरी कोई न जाने।
समय पर अपने भी होते बेगाने।
मन के क्लेश मिटा रास रचैया।
सुन लो...........
एक विनती प्रभु सुन लो तू मेरी।
पूर्ण कर आज काज,लगाओ न देरी।
मेरी नौका के तुम ही हो खेवैया।
सुन लो......
हाथ जोड़ समृद्धि करती पुकार है।
दूर कर मन में जो आता दुर्विचार है।
हे कृष्ण द्रौपदी के लाज बचैया।
सुन लो......
सुजाता प्रिय 'समृद्धि'
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