Thursday, August 8, 2024

देश हमारा (लघुकथा)

देश हमारा (लघुकथा)

अंतरराष्ट्रीय खेल क्रिकेट मैच का अंतिम दिन था। पिछले दिन की पारी में भारत की बढ़त से भारत के नगरों-शहरों के लोग ही नहीं बल्कि छोटे- छोटे कस्बों और गांँवों के लोग भी अत्यंत उत्साहित थे।जीत की आस  प्रत्येक क्रिकेट-प्रेमी के दिल में लगाये थे।जहाँ जाओ वहाँ क्रिकेट की ही चर्चा छिड़ी होती।सभी मना रहे थे कि अपना देश 'भारत' जीत जाए।
तभी कहीं से कुछ शोर सुनाई पड़ी।उस शोर को सुन भरत उधर देखने लगा....
"जीतेगा भई जीतेगा !
देश हमारा जीतेगा !
भारत प्यारा जीतेगा !
क्रिकेट खेल का-
विश्वगुरु भारत जीतेगा !"
तरुण वर्ग के बच्चों का समुह नारे लगाते हुए वहाँ से चले जा रहे थे ।
    उन बच्चों को उत्साह उमंग और आत्मविश्वास देख मुहल्ले वासियों हृदय प्रफुल्लित हो गया।
वहाँ बैठी तरुणा चाची ने मुँह बनाते हुए कहा-"क्रिकेट खेल का उद्गम स्थल इंग्लैंड है, फिर भारत क्रिकेट खेल का गुरु कैसे बन गया ?"
जनक दादा ने कहा -"निसंदेह क्रिकेट खेल इंग्लैंड में प्रारंभ हुआ। और,यह खेल इंग्लैंड और श्रीलंका का राष्ट्रीय खेल भी है।परन्तु भारतीय खिलाड़ी अधिक कुशलतापूर्वक इस खेल को खेलते हैं। इन्हें इस खेल में जितनी महारथ प्राप्त है उतना किसी देश के खिलाड़ियों को नहीं।"
वहीं बैठे सोहन चाचा ने कहा -"सच पूछिए तो इस खेल का उद्गम स्थल भी भारत है।"
"वह कैसे?"
"भारत के पौराणिक खेलों में अत्यंत  रोमांचकारी और प्रभावी खेल गिल्ली डंडा और पिट्टो इत्यादि रहे हैं।ये खेल भी लगभग क्रिकेट जैसा ही खेला जाता है। भारतीय खिलाड़ी इन खेलों के माध्यम से उच्च कोटि के गेंदबाज व बल्लेबाज हो जाते हैं ।इसलिए भारत निरंतर क्रिकेट मैच में न केवल जीत ही हासिल करते हैं,बल्कि क्रिकेट खेल में विश्व 'चैम्पियन' भी कहलाते हैं ।"
   "जीत गया जी जीत गया!
  विश्व गुरु भारत जीत गया S S S
सामने वाले घर में टेलीविजन पर मैच देख रहे क्रिकेट खेल के दीवाने जोर से ताली बजा कर चीख पड़े और पटाखे की आवाज से पूरा देश..
          सुजाता प्रिय 'समृद्धि'

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