अपराजिता
Friday, July 21, 2023
कुण्डलियाँ
प्रेम का कोमल बंधन,सब लोगों को भाय।
इस बंधन को तोड़कर,पल भर रहा न जाय।।
पल भर रहा न जाय,यह बंधन अति प्यारा।
नहीं कभी टूटता,जानता है जग सारा।।
प्रेम के बंधन का,साथ हम सदा निभाए।
बंधन में जो रहे, प्यार में बंधता जाए।
सुजाता प्रिय 'समृद्धि'
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