सरस्वती वंदना ( मगही भाषा )
वीणा बाजे रे, सरस्वती माय के द्वार में।
मनमा नाचे रे, उ वीणा के झंकार में।
रोज मैया के ध्यान लगैबै,
चरनियां में सिर नवा के।
मैया हमरा देथिन आशीष
दुनु हथबा उठा के।
हमर आस पुरैहा मैया,
विद्या-बुद्धि वरदान दे।
जीवनमा संवरे रे, मैया के दुलार में।
वीणा बाजे ये,................
सरस्वती मैया,होवा सहैया,
हमरा तूं वरदान दा।
हम मुरख-अज्ञानी मैया,
हमरा सच्चा ज्ञान दा।
विद्या दायिनी मैया मोरी,
इहे हमर अरमान है।
झूम-झूमके नाचूँ रे, मैया तोहर प्यार में
वीणा बाजे रे,.....................
सुजाता प्रिय समृद्धि
सादर नमस्कार ,
ReplyDeleteआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल रविवार (6-2-22) को "शारदे के द्वार से ज्ञान का प्रसाद लो"(चर्चा अंक 4333)पर भी होगी।आप भी सादर आमंत्रित है..आप की उपस्थिति मंच की शोभा बढ़ायेगी .
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कामिनी सिन्हा
किनती सुंदर सरल दिल से निकली परारथना!
ReplyDeleteआदरणीया सुजाता जी, सरस्वती माँ की सच्ची आराधना, अपनी भाषा मगही में।
ReplyDeleteहमर आस पुरैहा मैया,
विद्या-बुद्धि वरदान दे।
बहुत निमन लिखलहु हे। साधुवाद!--ब्रजेंद्रनाथ