Thursday, February 17, 2022

सुनो सखी

सखी सुनो

शीला-
सखी सुनो मेरी यह बतिया।
नींद नहीं मोहे आती रतिया।
परीक्षा सिर पर आन पड़ी है।
लगती यूं मुश्किल की घड़ी है।
एक इस बार पाठ बहुत है भारी।
ऊपर से यह कोरोना महामारी।
बंद रहे हमारे इतने दिन कालेज।
आन-लाइन में ना मिलता नालेज।
हमारी परीक्षा कैसे पार लगेगी।
बता कैसे हम-सब पास करेंगी ?
सुशीला-
ऐ सखी सुनो तुम ना घबराओ।
हाँ नियम बनाकर पढ़ती जाओ।
मेहनत का फल जरूर मिलेगा।
उत्तीर्णता का प्रसून खिलेगा।
माना मुश्किल की घड़ी आयी।
घंटा खुशियों पर बनकर छायी।
फिर भी हम सबको पढ़ना होगा।
और राह नयी नित गढ़ना होगा।
भाग रहा अब कोरोना महामारी।
आएगी वापस अब खुशियां सारी।
               सुजाता प्रिय 'समृद्धि'

7 comments:

  1. जी नमस्ते ,
    आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शुक्रवार (१८-०२ -२०२२ ) को
    'भाग्य'(चर्चा अंक-४३४४)
    पर भी होगी।
    आप भी सादर आमंत्रित है।
    सादर

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  2. बहुत ही शानदार रचना!
    परीक्षा का दबाव कुछ ऐसा होता है ! कब बसंत लग कर खत्म हो गया कब फागुन लग गया कुछ पता ही नहीं चलता है!

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  3. वाह!सखी बहुत खूबसूरत सृजन।

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  4. वाह
    बहुत सुंदर रचना

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  5. मेरे ब्लॉग से जुड़ें
    आभार

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