सुनो सुहानी, एक पुरानी, सुना रही हूं घटना।
मैं अपने दीदी जीजा संग , जा रही थी पटना।
जनरल बोगी मैं हम दीदी के पास जाकर बैठे।
सामने वाली सीट पर जीजाजी भी आकर बैठे।
जीजा बोले -
बगल सीट की सुंदर रुमाल दिखाकर।
देखना बैठेगी मेरे साथ कोई सुंदरी आकर।
थोड़ी देर में एक आदमी सीट पर बैठने आया।
जीजाजी की बगल अपनी कुतिया को बैठाया।
जीजाजी का चेहरा हमको लगा देखने लायक ।
जीजाजी के संग बैठी सुंदरी लगी बड़ी सुखदायक।
सुजाता प्रिय 'समृद्धि'
स्वरचित, मौलिक
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