Wednesday, January 27, 2021

फेकनी। ( लघु कथा )



आपका पुकारु नाम क्या है गीताजी?
सावित्री देवी ने पड़ोस में रहने वाली गीता  से पूछा।
फेकनी। उसने झट से जवाब दिया।
यह भी कोई नाम होता है? उनके मुंह से अनायास निकल पड़ा।
हां !क्यों नहीं  ? जब मुझे फेंक दिया गया तो फेकनी ही नाम पड़ेगा न। उसने  वेबाकी से कहा।
फेंक दिया गया ! कौन फेंका आपको ?
शायद जिसे बेटी नहीं चाहिए थी । गीता आक्रोशित स्वर में बोली।
उसकी आवाज ने एकदम से सावित्री देवी का मन झकझोर दिया।
आपको फेंक दिया गया तो आप कैसे  अभी जिंदा हो ?
फेकनी ने बताया मुझे रेलवे स्टेशन के निकट झाड़ियों में फेंक दिया गया था। मेरे पालक पिताजी को मुझे देख कर दया आ गई और उन्होंने अपनी गोद में मुझे उठा लिया और घर ले आए। मां को तीन बेटे थे।मुझ बेटी को पाकर खुश होकर मुझे पवित्र नाम गीता दिया।और बड़े लाड़-प्यार से पाला-पोसा ।
पर पास-पड़ोस के लोग मेरी इस सच्चाई से वाकिफ थे। इसलिए मुझे फेकनी ही पुकारते थे। और यही मेरा पुकरु नाम रह गया । इसी नाम से मुझे सभी जानते हैं।
  वाह !बहुत अच्छे हैं आप के माता-पिता। और आपके ससुराल वाले कैसे हैं?
वे भी बहुत अच्छे हैं। गीता ने बताया।
आपकी इस बात को वे जानते हैं ?
हां इस बात के कारण ही तो उन्होंने मुझे अपनी बहु बनाया।
क्या sssssss ! इस बात के कारण ?
सावित्री देवी का मुंह आश्चर्य से खुला-का -खुला रह गया।
 गीता ने बताया-मेरे बारे में लोग परिवार को पता था ।इसलिए कोई मुझसे शादी नहीं करना चाहता था।  इस बात की जानकारी जब पिताजी के दोस्त को हुई तो उन्होंने मेरे ससुराल का पता बताते हुए कहा -शायद वहां आपका काम बन जाए।जब पिताजी वहां पहुंचे तो मेरी सास ने बेझिझक मेरे पिताजी को बताया कि वह किसी प्राइवेट अस्पताल में नर्स हैं। वहां किसी कुंवारी कन्या ने एक बच्चे को जन्म दिया था और लोक-लाज के भय से एक रात चुपके से अपनी मां के साथ भाग गई।जब बच्चे को कोई नहीं ले गया तो उन्होंने उसे लाकर उनका नाम कर्ण रखा, पाला-पोसा और पढ़ा-लिखाकर बड़ा किया। नौकरी भी लग गई। लेकिन उसकी शादी में भी इसी बात की अड़चन थी। और हम दोनों तिरस्कृत बच्चों का विवाह हो गया । अब हमारे दोनों बच्चों का विवाह में भगवान जाने क्या होगा?
    सावित्री देवी ने गीता को सांत्वना देते हुए कहा - धन्य हैं आपके माता-पिता और सांस श्वसूर जो अपलोग को इतने लाड़-प्यार से पाला - पोसा।अगर आज समाज में आपके पालक माता- पिता और सांस ससुर जैसे अच्छे लोग हैं तो भविष्य में भी रहेंगे। आपके बच्चों का विवाह भी ऐसे ही संपन्न हो जाएगा।
          सुजाता प्रिय 'समृद्धि'
           स्वरचित , मौलिक
 
सच्ची घटना पर आधारित 🙏🙏

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