मगही भाषा में लक्ष्मी माता के (भजन)
लक्ष्मी माय के आज मंदिलिया,
बड़ी लगै गुलजार हे।
सोना के मंदिलिया माय के,
रूपा के दुआर है।
लक्ष्मी माय के आज...........
मैया के अंग में लाल चुनरिया,
चोली चमकदार हे।
माथे माय के मुकुट विराजे,
कमलगट्टा के हार हे।
लक्ष्मी माय के आज..........
मैया बैठली सिंघासन चढ़ के,
करके सोलहो सिंगार हे।
भक्तन गाबे गीत-भजनियाँ,
करके जय - जयकार हे।
लक्ष्मी माय के आज...............
जे मैया के ध्यान लगाबे,
पाबे धन अपार हे।
जे मैया के शरण में आबे,
पाबे बड़ी दुलार हे।
लक्ष्मी माय के आज...............
सुजाता प्रिय 'समृद्धि'
स्वरचित ( मौलिक )
No comments:
Post a Comment