Friday, June 12, 2020

सोशल मीडिया (लघु कथा)

फुलमनिया काकी की खुशी का ठिकाना नहीं।टोले के जिन छोकरों से वह चिढ़ा करती थी  वे आज उसे ईश्वर का रूप लग रहे थे।उन छोकरों के कारण ही आज उसका खोया बेटा घर वापस आ रहा था।दो साल वह अपने बेटे की याद में किस तरह गुजारी यह तो उसी का दिल जानता है।जब वे उससे उसके बेटे धरमा का कोई फोटो मांगने आये तो उसे लगा वे हमेशा की तरह आज भी वे उसका मजाक बनाना चाहते हैं ।हाँ मजाक ही तो करते आए थे वे उसकी। कभी उसके टूटे हुए पैर का फोटो खींचकर, कभी झाड़ू- चटाई बनाने का फोटो लेकर ,कभी टूटी-फूटी झोपड़ी का फोटो खींचकर कहते इसे व्हाट्स-एप,फेसबुक में डाल देंगे तो सरकार और मीडिया वाले तुम्हें कुछ आर्थिक मदद करेंगे।कुछ मनचले किस्म के छोकरे उसे देखते ही पूछते - कितना पैसा सरकार दिया तुम्हारी विकलांगता और गरीबी पर काकी? उसमें से थोड़े पैसे  हमलोग को मिठाईयाँ खिलाने पर भी खर्च करना।और वह चिढ़कर जाने कितनी गालियाँ उनलोग को दे डालती।
कल उन बदमाश छोकरों ने ही मोबाइल में उसके बेटे का फोटो दिखा कर कहा देखो काकी धरमा भाई का पता चल गया।हमलोग उसका फोटो व्हाट्स-एप फेसबुक में डालकर सभी जनों से अपील किए थे कि यह व्यक्ति अगर किसी को दिखे  तो हमें खबर करें।किसी का मैसेज आया है कि इस चेहरे का एक व्यक्ति कलकत्ता के एक अस्पताल में इलाजरत है ।सड़क दुर्घना में इसके सिर में काफी चोटें आयी थी जिससे इसकी यादास्त कमज़ोर हो गई थी। अब स्वस्थ्य लाभ हो रहा है ।
टोले वाले लोग उसे लाने गये हैं।
पास-पड़ोस के लोग बोल रहे थे,बच्चे हमेशा मोबाइल में ही व्यस्त रहकर गाना ,सिनेमा गेम आदि में लगे रहते थे इसलिए इस सोशल मीडिया को हमलोग अभिशाप समझकर उससे चिढते थे। आज वही सोशल मीडिया हमारे लिए वरदान बन गया।

  सुजाता प्रिय 'समृद्धि'
स्वरचित सर्वाधिकार सुरक्षित

10 comments:

  1. धीरे धीरे सोशल मीडिया सामाजिक संस्कारों का वाहक भी बन जायेगा। इसकी विकृतियां लुप्त होती चली जायेगी। ऐसा मेरा विश्वास पहले से ही रहा है और मैंने एक साक्षात्कार में ऐसा कहा भी है। मेरे इसी विश्वास को सच करती लघु कथा।
    https://vishwamohanuwaach.blogspot.com/2020/03/blog-post_65.html?m=1

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    1. बहुत-बहुत धन्यबाद भाई।आपका विश्वास सच में बदल जाएगग।सादर नमन।

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  2. आपकी लिखी रचना "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" आज शनिवार 13 जून जून 2020 को साझा की गई है.... "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!

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    1. सादर नमन आपको दीदीजी।मेरी रचना को 'सांध्य दैनिक मुखरित मौन में' साझा करने के लिए हार्दिक धन्यबाद एवं आभार।

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  3. दिशा देने की जरूरत है सब हो सकता है:) सुन्दर।

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    1. सादर धन्यबाद सर ! नमस्कार

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  4. लाभ और हानि को साथ तोला जाए तो बस मानसिकता का फर्क ही रह जाएगा। वर्ना संचार क्रांति की खूबियों को कौन नकार सकता है।
    सुंदर लेखन हेतु बधाई आदरणीया।

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    1. बहुत-बहुत धन्यबाद भाई।

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  5. बहुत बढ़िया

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  6. बहुत-बहुत धन्यबाद।

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