पिताजी आप पर अभिमान है।
आपकी हर कीर्ति पर शान है।
बस आप ही तो वह व्यक्ति हैं।
जो हमको देते हरदम शक्ति हैं।
पाल - पोषकर हमें बड़ी किया।
सद्गुणऔर शिक्षा है हमें दिया।
हर अच्छी राह हमें दिखाया है।
अनुशासन में रहना सिखाया है।
आज मैं आपसे बहुत ही दूर हूँ।
मिलने-जुलने से भी मजबूर हूँ।
आपका अनूठा-अनुपम प्यार।
याद आ रहा मुझको बारम्बार।
सुजाता प्रिय 'समृद्धि'
सुंदर!
ReplyDeleteबहुत-बहुत धन्यबाद भाई।आभार
Deleteबहुत-बहुत धन्यबाद भाई।आभार
Deleteसादर आभार बहना बहुत-बहुत धन्यबाद।
ReplyDeleteसुंदर भावभीनी रचना
ReplyDeleteबहुत-बहुत धन्यबाद भाई।
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