हाथ में लेकर हाथ।
हम चलते जाएँ साथ ।
मौसम बड़ा सुहाना है,
हमको घर भी जाना है,
चलो, चलें अब हम-तुम
दोनों करते जाएँ बात।
हम चलते जाएँ साथ।
साथ-साथ चलते जाएँ,
मुश्किल में ना घबराएँ,
हवा का रुख चाहे बदले
हम साथ रहें दिन-रात ।
हम चलते जाएँ साथ।
सदा रहे यह साथ हमारा,
सदा रहे यह जीवन प्यारा,
हँसते जाएँ हम जीवन भर
यही हो बस सौगात ।
हम चलते जाएँ साथ।
सुजाता प्रिय 'समृद्धि'
आपकी लिखी रचना "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" आज गुरुवार 07 मई 2020 को साझा की गई है.... "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
ReplyDeleteसादर धन्यबाद दीदीजी।बुद्ध पूर्णिमा की हार्दिक शुभकामनाएँ।
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