पिया अब तो नशा तुम छोड़ दो,
तोरे पैयां पड़ूँ बालमा।
तोरे पैयां पड़ूँ तोरे विनती करूँ,
पिया अब तो नशा तुम छोड़ दो,
तोरे पैयां पड़ूँ बालमा।
जब पीते हो सिग्रेट-बीड़ी पिया।
धूँ- धूँ कर जलता है तेरा जिया।
पिया दिल को जलाना छोड़ दो,
तोरे पैयां पड़ूँ बालमा।
जब पीते हो तुम शराब पिया।
तेरा मन हो जाता खराब पिया।
पिया मन को बहकाना छोड़ दो,
तोरे पैयां पड़ूँ बालमा।
तंबाकू भी बड़ा है रोगों का घर।
जानकर क्यों खाते हो ये जहर।
पिया रोगों से मरना छोड़ दो,
तोरे पैयां पड़ूँ बालमा।
सुजाता प्रिय 'समृद्धि'
आपकी लिखी रचना "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" आज सोमवार 01 जून 2020 को साझा की गई है.... "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
ReplyDeleteजी दीदीजी सादर नमन । मेरी रचना को सांध्य दैनिक मुखरित मौन में साझा करने के लिए हार्दिक धन्यबाद एवं आभार
Deleteकल 31 मई को "विश्व तम्बाकू निषेध दिवस" के अवसर पर आपकी संदेशात्मक रचना/विचार .. काश !पैयाँ पड़ने पर भी बलमा सुधर पाते ...
ReplyDeleteजी सादर धन्यबाद भाई!
ReplyDeleteकाश ! पियक्कड़ बलमवा के कानों पर इस करुण पुकार का असर पड़ता प्रिय सुजाता जी | अनगिन भुक्भोगी महिलाओं की मन की बात लिख दी आपने | प्रेरक विचार युक्त रचना |
ReplyDeleteबहुत-बहुत धन्यबाद सखी!
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