Tuesday, July 12, 2022

मानवता की जरूरत

मानवता की जरूरत

मानव समाज को मानवता की जरूरत है।
मानवता ही मानवों की सुंदर सूरत है।
मानवता को अपना ले अभी हे मानव जन-
नहीं तो हर जीवों में तू सबसे बदसूरत है।
               सुजाता प्रिय समृद्धि

Monday, July 11, 2022

ऋतु (सायली छंद)



 ऋतु (सायली छंद)

भारत 
देश में 
वर्ष में छः 
ऋतुएंँ होती
हैं।

हर 
ऋतु हर
दो महीने में 
ही बदलती 
है।

क्रमवार
एक-एक 
कर आती और 
चली जाती 
है।

और
हर ऋतु 
ही अपना-अपना 
रंग दिखाती
है।

ग्रीष्म 
और वर्षा 
के पहले सदा
आता है 
वसंत।

शरद, 
शिशिर के 
बीच में होता 
है सदा
हेमंत।

सुजाता प्रिय समृद्धि

Friday, July 8, 2022

गज़ल

ग़ज़ल

तुम जा रहे हो , ना अब बात होगी।
किसी मोड़ पर,फिर मुलाकात होगी।

विरहा की अग्नि से व्याकुल न होना,
प्यार के सावन की बरसात होगी।

अभी कुछ दिनों की दूरी है हमारी,
फ़िक्र ना करो हमसे फिर बात होगी।

तड़पाए भले यह दिन का उजाला,
खुशियों के पल से भरी रात होगी।

माना की आयी ये मुश्किल घड़ी है,
ढलने दो खुशियों की सौगात होगी।
       सुजाता प्रिय समृद्धि

Thursday, July 7, 2022

यह भारत की नारी है (चित्र आधारित रचना)

यह भारत की नारी है

पुरुषों से कदम मिलाकर चलती,वह भारत की नारी है।
हर पल पुरुषों का साथ निभाती वह भारत की नारी है।

घर का काम निपटाकर बाहर पुरुषों का साथ निभाती है।
पीठ पर बच्चे को बांँध कर,संग खेती करने जाती है।

कुदाल चलाती,खेत कोड़ती,हल चलाकर खेत जोतती।
मेड़ बनाकर बीज बोती,एक-एक कर पौध रोपती।

भला कैसे गुजारा होगा अब, हाल बड़ा बदहाल है।
करे क्यूं न मजबूरी में, यह पापी पेट का संभाल है।

फिर भी जन हाथ उठाकर कहते हैं शक्तिहीना नारी है।
है केवल ममता की मूरत, कोमल अबला यह बेचारी है।
     सुजाता प्रिय समृद्धि

Tuesday, July 5, 2022

सबसे प्यारा भारत है



सबसे प्यारा भारत है 

सारा जग विचरण कर देखो,सबसे प्यारा भारत है।
करे न कोई तुलना इसकी,सबसे न्यारा भारत है।
करें ना.....
स्वच्छ यहाँ की जलवायु है,स्वच्छ यहाँ के बात-विचार।
स्वच्छ मन से हर मानव करते,हर प्राणी से हैं व्यवहार।
बड़े-बुजुर्गों का आदर और सेवा करता सारा भारत है।
करे न कोई तुलना इसकी............
अलग-अलग परिधान यहाँ के,अलग-अलग भोजन पकवान।
अलग-अलग बोली और भाषा,अलग-अलग गीतों के तान।
अनेकताओं में भी है एकता,जग उजियारा भारत है।
करे न कोई तुलना इसकी,...........
हिमालय से हिंदसागर तक भारत का विस्तार सुनो।
यहाँ सभी मिल-जुलकर रहते, जैसे एक परिवार सुनो।
जो देता सबको सुख-वैभव,हरता अंधियारा भारत है।
करें न कोई तुलना इसकी...........
यहाँ की मिट्टी के कण-कण में, फसलों का भंडार भरा।
यहाँ की नदियों और नहर में,अमृत का है उद्गार भरा।
जंगल और पहाड़ों से समृद्ध,यह देश हमारा भारत है।
करें न कोई तुलना इसकी...........
अंतर्कलह को दूर भगाता, आंतरिक सुख-स्वराज्य यहाँ।
पास-पड़ोस से मिलाप रखता,मेल-जोल कि राज्य यहाँ।
दुनिया के झगड़ों का भी,करता निपटारा भारत है।
करे न कोई तुलना इसकी...........
सदा रहा यह विश्व विजेता,सदा किया जग का कल्याण।
यहाँ सभी हैं पंडित ज्ञानी,देते आये हैं जग को ज्ञान।
विश्व गुरु यह सदा रहा ह ,आँखों का तारा भारत है।
करें न कोई तुलना इसकी...........
     सुजाता प्रिय 'समृद्धि'
       स्वरचित, मौलिक

Monday, July 4, 2022

कारी बदरिया ( मगही भाषा )



छा गैलै कारी बदरिया,सुना हो सांवरिया।
दिनमा में होलै अंधरिया, सुना हो सांवरिया।

पूरुब दिशा में अइलै बदरिया।
लाली पर छैलै कजरिया,
सुना हो सांवरिया।

पच्छिम दिशा में अइलै बदरिया।
बिखर गेलै जैसे कजरिया,
सुना हो सांवरिया।

उत्तर दिशा से अइलै बदरिया।
भींजलै पोथी-पतरिया,
सुना हो सांवरिया।

दक्खिन दिशा में अइलै बदरिया।
सूझै ने कउनो डगरिया,
सुना हो सांवरिया।

उमड़ -घूमड़ के अइलै बदरिया,
चम-चम चमके बिजुरिया,
देखा हो सांवरिया।

सुजाता प्रिय समृद्धि

Saturday, July 2, 2022

जगन्नाथ भगवान



जगन्नाथ भगवान

जगन्नाथ भगवान,
है बारम्बार प्रणाम,
आई हूँ आपके धाम,
कृपा अब कीजिए।

आपके आपके पास,
हम सब दासी-दास,
लेकर मन उल्लास,
शरण में लीजिए।

सुनहरा यह संयोग,
मिलकर सारे लोग,
लगाने आए हैं भोग,
भोग आप कीजिए।

लेकर मन उमंग,
बजा करके मृदंग,
गायेंगे कीर्तन संग,
आशीष दीजिए।

सुजाता प्रिय समृद्धि