Wednesday, March 19, 2025

स्वर्ण - विहान

हुआ सवेरा, छटा अँधेरा
     आया स्वर्ण- विहान। 
नीड़ में सोयी चिड़िया जागी, 
      गायी स्वागत- गान। 
 रंग - बिरंगे  फूल खिलें है, 
     मुख पर ले मुस्कान। 
रंग- बिरंगी उड़ी तितलियाँ,
      कर  रहे  रस  पान। 
कली- कली पर भौरें गाते। 
       छेड़ मनोहर तान।
गैया जागी बछड़ा जागा, 
    शोभ रहा है बथान। 
आओ हम सब भी कर लें, 
      कुछ नवल संधान। 

  सुजाता प्रिय 'समृद्धि'

6 comments:

  1. बहुत सुंदर रचना

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    1. बहुत बहुत धन्यवाद 🙏

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  2. खुशनुमा चित्रण। इस सुरम्य दृश्य को मन में लिए प्रसन्नता दिवस मनाया जा सकता है आज ! धन्यवाद ! नमस्ते।

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    1. हार्दिक धन्यवाद 🙏🙏

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