हुआ सवेरा, छटा अँधेरा
आया स्वर्ण- विहान।
नीड़ में सोयी चिड़िया जागी,
गायी स्वागत- गान।
रंग - बिरंगे फूल खिलें है,
मुख पर ले मुस्कान।
रंग- बिरंगी उड़ी तितलियाँ,
कर रहे रस पान।
कली- कली पर भौरें गाते।
छेड़ मनोहर तान।
गैया जागी बछड़ा जागा,
शोभ रहा है बथान।
आओ हम सब भी कर लें,
कुछ नवल संधान।
सुजाता प्रिय 'समृद्धि'
बहुत सुंदर रचना
ReplyDeleteबहुत बहुत धन्यवाद 🙏
Deleteसुंदर
ReplyDeleteआभार भाई
Deleteखुशनुमा चित्रण। इस सुरम्य दृश्य को मन में लिए प्रसन्नता दिवस मनाया जा सकता है आज ! धन्यवाद ! नमस्ते।
ReplyDeleteहार्दिक धन्यवाद 🙏🙏
Delete