तू डाल-डाल मैं पात-पात
नन्ही गिलहरी चुन्नु के से। 🏡
रोटी का एक टुकड़ा लायी। 🍕
बैठ डाल पर नन्हें दाँतों से,
कुतर-कुतर कर थोड़ा खायी।
बंदर🐒 मामा कहीं से आकर,
छीन लिया उससे वह रोटी। 🍞
रोटी मुझको दे दो मामा,
गिलहरी बोली रोती-रोती।
ले जा आकर अपनी रोटी🍞
बड़े प्यार से बोला बंदर🐵
उछल-उछल कर भाग रहा था,
इस डाली से उस डाली पर।
नहीं पकड़ जब सकी गिलहरी,
थक-हार चुप बैठ गयी।
🐒बंदर से बदला लेने की,
होंगी एक तरकीब नयी।
एक दिन बंदर मामा भी,
मिठाई🍮 लाकर खा रहा था।
मजेदार😋 मिठाई हाथ✋ लगी है।
सोंच मन में इठला रहा था।
घात लगाए बैठी गिलहरी ने,
झट से झपट लिया मिठाई🍬
दोनों आंखों को मटकाकर,
जीभ दिखाकर उसे चिढ़ाई।
दे दे मुझे मिठाई तू मेरी 🙉
बंदर ने उसको पुचकारा।
ले सकते तो ले जा आकर,
गिलहरी ने उसको ललकारा।
डाल- डाल पर दौड़-दौड़ कर,
पकड़ने उसको जाता बंदर🐒
पहुँच न पाता, बैठे पाता,
गिलहरी को चेतन पत्तों पर।
गिलहरी रानी बोली हंसकर,
सुनो-सुनो👂 ऐ नटखट बंदर🐵
डाल-डाल तू दौड़ लगाते,
और मैं दौडू़ पत्ते- पत्ते पर।
सुजाता प्रिय समृद्धि
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