Wednesday, December 18, 2024

तू डाल-डाल मैं पात-पात

तू डाल-डाल मैं पात-पात

नन्ही गिलहरी चुन्नु के से। 🏡
रोटी का एक टुकड़ा लायी। 🍕
बैठ डाल पर नन्हें दाँतों से, 
कुतर-कुतर कर थोड़ा खायी। 

बंदर🐒 मामा कहीं से आकर, 
छीन लिया उससे वह रोटी। 🍞
रोटी मुझको दे दो मामा, 
गिलहरी बोली रोती-रोती। 

ले जा आकर अपनी रोटी🍞
बड़े प्यार से बोला बंदर🐵
उछल-उछल कर भाग रहा था, 
इस डाली से उस डाली पर। 

नहीं पकड़ जब सकी गिलहरी, 
थक-हार चुप बैठ गयी। 
🐒बंदर से बदला लेने की, 
होंगी एक तरकीब नयी। 

एक दिन बंदर मामा भी, 
मिठाई🍮 लाकर खा रहा था। 
मजेदार😋 मिठाई हाथ✋ लगी है। 
सोंच मन में इठला रहा था। 

घात लगाए बैठी गिलहरी ने, 
झट से झपट लिया मिठाई🍬
दोनों आंखों को मटकाकर, 
जीभ दिखाकर उसे चिढ़ाई।

दे दे मुझे मिठाई तू मेरी 🙉
बंदर ने उसको पुचकारा। 
ले सकते तो ले जा आकर, 
गिलहरी ने उसको ललकारा। 

डाल- डाल पर दौड़-दौड़ कर, 
पकड़ने उसको जाता बंदर🐒
पहुँच न पाता, बैठे पाता, 
गिलहरी को चेतन पत्तों पर। 

गिलहरी रानी बोली हंसकर,
सुनो-सुनो👂 ऐ नटखट बंदर🐵
डाल-डाल तू दौड़ लगाते, 
और मैं दौडू़  पत्ते- पत्ते पर। 

सुजाता प्रिय समृद्धि

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