Sunday, May 28, 2023

कल्पना (कहानी )

कल्पना 
तीन भाइयों में रामू सबसे बड़ा था। माता- पिता के नहीं रहने के कारण अपने दोनों भाई भोलू और छोटू को बेहद प्यार करता था।यूं तो तीनों भाई आपस में मिलजुल कर ही रहते थे और यथायोग अपने कर्तव्यों का पालन भी करते थे। पर भोलू अपने बड़े भाई रामू की मालिकपना और आदेश के कारण चिढा रहता ।एक बार वह अपने साथी के साथ बगीचे में बैठा था।बातों -बातों में वह रामू की शिकायत करता हुआ बोला- जी चाहता है उसे खूब पीटूँ। जब देखो कुछ ना कुछ कहता रहता है। जहांँ देखो अपना अधिकार जमाए फिरता है।कुछ करना चाहो तुरंत रोड़े अटकाने लगता है। ऐसा नहीं करो,वैसा नहीं करो, अभी नहीं करो। संयोग से रामू भी उधर ही आ निकला और गोलू द्वारा बोली गई सारी बातें सुन लिया।लेकिन, उसने उससे कुछ कहा नहीं और चुप वहांँ से चला गया।लेकिन भोलू का तो घबराहट के मारे बुरा हाल था। सोच रहा था मेरी बातें सुनकर भैया ना जाने कितने नाराज हो रहे होंगे।कितना डाँटेंगे वे मुझे ।
मगर तब उसे बड़ा आश्चर्य हुआ जब घर में रामू से उसकी मुलाकात हुई और तब भी उसने उससे कुछ नहीं कहा।बल्कि सामान्य व्यवहार ही करता रहा। लज्जित-सा वह रामू के पास पहुंँचा और साहस संचित कर नम्र स्वर में बोला -मैंने तुम्हें बुरा भला कह कर अच्छा नहीं किया भैया! 
     तुम जो चाहे कह सकते हो, मैंने तुम्हें कब मना किया ? रामू ने बड़े प्यार से कहा ।
भैया तुम कितने महान हो ।अपनी शिकायत और अपमान सुनकर भी तुमने मुझसे कुछ नहीं कहा। मुझे कुछ सजा मिलनी चाहिए।
    मैं भला तुम्हें कुछ क्यों कहूंँ ? दोष तुम्हारा नहीं, तुम्हारी सोचों का है और यह छोटी-मोटी बातें सजा की नहीं होती। आवश्यकता इसे समझने की होती है ।जाओ ! तुम किसी एकांत स्थान में बैठकर यह कल्पना करो कि जैसी बातें तुमने मेरे लिए कही है,ठीक वैसी ही बातें छोटू भी तुम्हारे लिए कह रहा है । उसके बाद तुम सोचो कि तुम्हें कैसा लग रहा है।इतना कहकर रामु वहांँ से चला गया। रामू के चले जाने से भोलू वैसे ही अकेला हो गया और ना चाहते हुए भी कल्पना लोक में डूब गया। कल्पनाओं में ही छोटू उससे कह रहा था -जी चाहता है तुम्हें खूब पीटूँ। आवेश में आकर वह बड़बड़ाने लगा -क्या छोटा होकर तू मुझे पीटेगा ? हांँ-हांँ क्यों नहीं ? कल्पना लोक से ही छोटू ने उससे कहा -मैं कुछ भी करना चाहता हूंँ तुम उसमें अपनी टांँग अड़ाने लगते हो । हमेशा आदेश देते हो रहते हो +यह करो,वह करो। जहांँ कहीं भी जाना चाहता हूंँ रोक-टोक करने लगते हो। 
लेकिन मैं जो कुछ भी आदेश देता हूंँ। तुमसे बड़े होने के नाते ।कभी कम करने से रोकता हूंँ।तुम्हारी भलाई के लिए।अपना बड़प्पन और अपनी भलाई तुम अपने ही पास रखो।नहीं तो तुम्हारी खैर नहीं।क्या मैं अपना निर्णय स्वयं नहीं ले सकता ? भोलू के दिल को छोटू द्वारा बोली गई इन अपमानजनक शब्दों से बड़ा आघात पहुंचा ।वह तड़प उठा। फिर मन में सोचने लगा। जब मेरा मन इन अपमान भरे शब्दों की कल्पना मात्र से इतना विचलित हो उठा, तो भैया को प्रत्यक्ष रूप में उन्हीं बातों को सुनकर कितना ठेस पहुंंचा होगा।
उसने अपने बड़े भाई से जाकर क्षमा मांगी और मन ही मन यह संकल्प किया कि अब कभी भी, कल्पना में भी भैया के लिए कोई अपमानजनक बातें नहीं सोचूँगा बोलना और करना तो सदा ही दूर रहे ।
सुजाता प्रिय 'समृद्धि'

No comments:

Post a Comment