जय माँ शारदे
शिव ( दोहा )
शिव देवों के देव हैं, चरणों में प्रणाम।
हर-हर,शिव-शिव बोल तू,जपते जाओ नाम।।
सबका ये संकट हरे,सब के पालनहार।
जग वालों पर हैं सदा, करते वे उपकार।।
मस्तक पर चंद्रमा,जटा गंग की धार।
बाघम्बर ओढ़े,वदन,गले सर्प की हार।।
एक हाथ में त्रिशूल है, कमण्डल दूजे हाथ।
नत्मस्तक होकर सदा, भक्त झुकाते माथ।।
मंदिरों में विराजते, पार्वती के संग।
सारा जग हैं घूमते,चढ़ बसहा के अंग।।
खाते हैं भांग -धतुरा, लगाते हैं विभूत।
कार्तिक औ गणपतिजी, दोनों इनके पूत।।
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