मकर संक्रांति (दोहे)
मकर संक्रांति में होता ,ऊष्मा का संचार।
शरद ऋतु को दूर हुआ, उल्लसित है संसार।
तिल का लड्डू खाइए,सुबह में कर स्नान।
तिलकुट-चूड़ा का करें-मंदिर जाकर दान।।
गुणकारी गुड़ खाइए,मन में रख विश्वास।
राम-वाण यह औषधी,कफ का करता नाश।।
खिचड़ी आकर खाइए, जिसमें चावल-दाल।
घी-जीरे से छौंक कर,मटर-टमाटर डाल।।
आसमान में उड़ रही,सर-सर करे पतंग।
नीली-पीली औ हरी,इसके सुंदर रंग।।
सुजाता प्रिय 'समृद्धि'
स्वरचित, मौलिक
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