Wednesday, January 18, 2023

माँ की शक्ति (लघुकथा)

माँ की शक्ति

हाथियों का झुंड जंगल में भोजन एवं पानी की खोज में इधर घूम रहा था। हाथियों के झुंड में हथिनी और उनके छोटे-छोटे बच्चे भी थे ।सभी मस्ती से इधर-उधर घूमते और पेड़ की डालियों को तोड़ तोड़ कर उसके पत्ते और फलों खाते और मस्ती से झूमते हुए चिंघाड़ते। खाते-खाते उन्हें प्यास लगी । सभी इधर-उधर नजरें घुमाकर पानी ढूंढने लगे। तभी कुछ दूर आगे उन्हें एक बहुत बड़ा सरोवर दिखाई दिया ।सभी प्रफुल्लित हो उधर बढ़ चले। बच्चे तेजी से छलांग लगाते हुए पानी की ओर बढ़े और पानी पीने लगे तभी पहली से पानी के ऊपर लेटे हुए मगरमच्छ ने हाथी के एक छोटे बच्चे  को अपने बड़े जबड़े मे जकड़ लिया।बेचारा हाथी का बच्चा घबराकर जोर-जोर से चिंघाडना शुरू किया।यह देख हाथियों के अन्य बच्चे भयभीत हो दौड़ कर वहांँ से भागने लगे। हाथियों का झुंड  भी डर कर ठिठक गया ।उस बच्चे की माँ हथिनी ने ऊँची आवाज में चिंघाड़ती हुई अपने साथी हाथी -हथिनियों से बच्चे को बचाने की गुहार लगाई।लेकिन अपनी जान जोखिम में डालकर उस बच्चे को बचाने के लिए कोई भी हाथी-हथिनी नहीं बढ़े। मां हथिनी अपने बच्चे को मौत के मुंँह में देख बहुत घबराई और कातर नजरों से अपने झुंड की ओर देखकर बच्चे को बचाने के लिए एक बार फिर मिन्नतें की।लेकिन हाथियों को हतोत्साहित देख हथिनी ने की ममता जाग उठी।अचानक उसमें शक्ति का संचार हुआ।और अदम्य साहस का परिचय देते हुए अपने बच्चे को मौत के मुंँह से बचाने के लिए दौड़ पड़ी ।वह झट जाकर मगरमच्छ के पेट पर अपने मोटे- मोटे चारों पैरों को रखकर मगरमच्छ हो कुचलना शुरू किया मगरमच्छ दर्द से तिलमिला उठा और कराहने लगा। जिसके कारण हाथी का बच्चा उसके जबड़े की पकड़ से ढीला पड़ गया और उसके जबड़े से निकलकर आगे की ओर बढ़ गया ।हाथियों का झुंड दूर से ही उसकी मांँ द्वारा मगरमच्छ पर किया गया प्रहार देख रहे थे।एक मांँ की ममता की आगे एक बलशाली जीव को परास्त होते देख सारे हाथी और हथिनी सूंड उठाकर जोर से सिंघाड़ कर हथिनी का उत्साह बढ़ाया।उनकी विजय नाद सुन मगर मगरमच्छ जल्दी से बच्चे को छोड़ सरोवर के जल में चला गया।
          सुजाता प्रिय समृद्धि

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