Friday, January 7, 2022

पुरानी यादें

पुरानी यादें (मगही भाषा )

एक बार बचपन में, हमें घूमे ले गेलियै गांव।
चाची-चाचा पेड़ तले,जोड़ले हलथी अलांव।

सोचलियै तनी बैठ के, हमहुं हथबा सेकियै।
अलाव में कैसन गर्मी है,इहो थोड़ा देखियै।

हमरा देखके चाचा-चाची केलथिन बड़ी प्यार।
मथबा पर हाथ धर के प्यार से बड़ी पुचकार।

कहलथि चाची जो मुन्नी लकड़िया लादे बीन के।
जै गो लकड़िया लैंभी,लेमनचुसबा देबौ गीन के।

दौड़ के लकड़िया लैलियै,पसीना बड़ी छुटलै।
थक गेलियै दौड़ते,लेमनचुसबा के मोह छूटलै।

भाग गेलियै मैया के पास,चाची पुकारते रह गेलथिन।
अलवा के अगिया बुतैलै, फिर  सभे कपकपैलथिन।
          सुजाता प्रिय समृद्धि
            स्वरचित मौलिक

6 comments:

  1. सुंदर याद...ऐसे ही खाने पीने के लालच में हमने भी कई काम किए हैं... हा हा हा

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  2. वाह, लोकभाषा में कितनी मिठास है

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  3. हृदयस्पर्शी रचना...
    मगही नहीं जानती हूं पर भावार्थ अक्षरशः ग्रहण कर लिया।
    इस सुंदर रचना के लिए बधाई 🌷

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  4. बहुत ही प्यारी रचना!

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