हम मां का कहना माने तो
हम मां का कहना मानें तो,हर बात हमारी बन जाए।
हर खुशी मिलेगी जीवन की,मन- प्रसून सब खिल जाए।
मां के दिल में होती माया, है उसने गढ़ी हमारी काया।
उसकी आंचल की छाया,हर बच्चे को है मन भाया।
मां की आंचल की छांव तले,दिल को सुकून कुछ मिल जाए।
हम मां का...................
मां के मन में केवल ममता,है कहीं नहीं इसकी समता।
प्यार नहीं मन में कमता,वात्सल्य कभी नहीं थमता।
मां के हृदय की करुणा को,कोई पार नहीं पाने पाए।
हम मां का कहना.................
मां होती है नाराज नहीं,तीखी उसकी आवाज नहीं।
मातृत्व का कोई ताज नहीं, मां की लोरी में साज नहीं।
मां के चरणों की धूली से,मस्तक का चंदन बन जाए।
हम मां का कहना...................
मां से न कोई भूल होती,बात न उसकी फिजूल होती।
मां की कुछ उसूल होती,हर दुआ उसकी कुबूल होती।
मां सिखाया जो पाठ हमें, लक्ष्य हमें अब मिल जाए।
हम मां का कहना...................
मां देती है हमको शिक्षा,दे गुरु - जनों जैसी दीक्षा।
लेकर हमारी वह परीक्षा,करती है सदा ही समीक्षा।
इसमें अगर उत्तीर्ण हुए,जीवन में सफलता मिल जाए।
हम मां का कहना...................
सुजाता प्रिय 'समृद्धि'
जी सादर आभार एवं नमस्कार भाई।
ReplyDeleteउत्तम।
ReplyDeleteजी सादर धन्यवाद।
Deleteसुंदर भाव
ReplyDeleteआभार
Deleteबहुत ही प्यारी रचना!
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