मां का रूप
मां का है रूप अनूप,जाने रंक धनी और भूप।
मां सुखदाता का रूप जाने........
मां महागौरी,मां महाकाली,मां ही ज्योतावाली।
मां ही शारदा,मां ही लक्ष्मी,बल-बुद्धि देने वाली।
मां अद्भुत-अपूर्व अनूप जाने........
मां बच्चे को जन्म है देती,पालन पोषण करती।
दूध पिलाकर भूख मिटाती,सारे दुखड़े हरती।
मां समस्त सिद्धि-स्वरूप जाने.................
मां की महिमा बड़ी निराली, जिसका कोई छोर नहीं।
मां की ममता लूट सके जो,ऐसा डाकू चोर नहीं।
बदल सके ना मां का रूप जाने......
मां सुख करनी, संकट हरनी,मां ही सुख की छाया।
मां ममता की सुंदर मूरत,जिसमें है बसती माया।
मां सुबह की कोमल धूप,जाने........
मां गर्मी में शीतल छाया,जाड़े में है अंगीठी।
वर्षा में छतरी बन जाती,जिसकी छाया मीठी।
मां हर ऋतु के अनुरूप जाने.......
मां ठंडा जल भी हमें पिलाती, लगता अमृत जैसा।
शर्बत-छाछ जो घोल पिलाती, कहीं न मिलता वैसा।
मां मीठे जल का कूप, जाने .......
सुजाता प्रिय 'समृद्धि'
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