हिंदी की शान है हिन्दी
हिन्द की जान है हिंदी,और पहचान है हिन्दी।
लगता देवों के मन से,मिला वरदान है हिन्दी।
भारत मां के माथे की,चमकती-सी है यह बिंदी,
इसकी आन है हिन्दी,इसका प्राण है हिन्दी।
लिपि देवनागरी इसकी,सहजता से समझ आती,
पुरातन भाषा संस्कृत की,सुनो संतान है हिन्दी।
बड़ी ही है सरल भाषा,बड़ा आसान उच्चारण,
खुले मन से इसे बोले,तो लगती शान है हिन्दी।
जब हम बोलते हिंदी,मधुर झंकार करती है,
हमारी गीतों की लगती,सुर-लय-तान है हिन्दी।
करें हिन्दी में हम लेखन,करें हिन्दी में हम गायन,
हम हिन्दी को अपनाएं,यही अभियान है हिन्दी।
कहे कितना बारम्बार,किसी को क्या सुनाएं हम,
हमारे देश का जग में,किया उत्थान है हिन्दी।
हिन्द के कोने-कोने में,बोली जाती यह भाषा,
हमारे देश का गौरव,हमारा मान है हिन्दी।
हमारी है ये जनभाषा,सभी जन शान से बोलें,
हमारी राष्ट्रीय भाषा,अलग पहचान है हिन्दी।
हमारी कामना इतनी,बने यह विश्व की भाषा,
हमारी आन है हिन्दी, और अभिमान है हिन्दी।
सुजाता प्रिय 'समृद्धि'
सादर नमस्कार ,
ReplyDeleteआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल मंगलवार (14-9-21) को "हिन्द की शान है हिन्दी हिंदी"(4187) पर भी होगी।
आप भी सादर आमंत्रित है,आपकी उपस्थिति मंच की शोभा बढ़ायेगी।
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कामिनी सिन्हा
सादर धन्यवाद आ.कामिनी जी !
ReplyDeleteबहुत ही बेहतरीन रचना..
ReplyDeleteहिंदी जय हिंद बना हिंदू से हिंदुस्तान,
हिंदी है हम सब की पहचान,
हिंदी के बिना अधूरा हिंदुस्तान,
हिंदी पर करता हर हिंदुस्तानी नाज!
वाह-वाह क्या बात है। बिल्कुल सही। हार्दिक धन्यवाद
Deleteइतना सब होते हुए भी हमारी मानसिकता ऐसी हो गयी है कि हम इसे इसका उचित स्थान और सम्मान नहीं दिला पा रहे
ReplyDeleteबिल्कुल चिंतनीय विषय है।
ReplyDeleteपूर्व से पश्चिम तथा उत्तर से दक्षिण तक सभी इसे सम्मान दें, अपनाएँ व भरपूर प्यार दें, तब ही सम्भवतः हमारी प्यारी हिन्दी भाषा सही अर्थों में 'देश की शान' कहलाई जा सकेगी।
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