प्रदूषण दूर भगाएँ हम।
मौलिक कर्तव्य निभाएँ हम।
स्वचछ बनाएँ अपनी धरती।
गोद बैठा जो पालन करती।
कूड़े-कचरे ना फैलाएँ हम।
मौलिक कर्तव्य निभाएँ हम।
जल है जीवन समझो भाई।
नदी- ताल की करो सफाई।
गंदगी ना इस में बहाएँ हम।
मौलिक कर्तव्य निभाएँ हम।
स्वच्छ रखेंगे जब हम वायु।
तब हम होंगे निरोग ,दीर्घायु।
धुआँ न कहीं फैलाएँ हम ।
मौलिक कर्तव्य निभाएँ हम।
ध्वनि- विस्तारक नहीं लगाएँ।
शांति से सदा उत्सव मनाएँ।
बहरापन दूर भगाएँ हम।
मौलिक कर्तव्य निभाएँ हम।
वैचारिक प्रदूषण दूर भगाएँ।
उँच - नीच का भेद मिटाएँ।
सबको गले नलगाएँ हम।
मौलिक कर्तव्य निभाएँ हम।
सुजाता प्रिय
सबको गले लगाएँ हम।
ReplyDeleteमौलिक कर्तव्य निभाएँ हम।
पाँच लिकों के आनंद में मेरी रचना को साझा करने के लिए धन्यबाद स्वेता।
ReplyDeleteस्वच्छ रखेंगे जब हम वायु।
ReplyDeleteतब हम होंगे निरोग ,दीर्घायु।
धुआँ न कहीं फैलाएँ हम ।
मौलिक कर्तव्य निभाएँ हम।
बहुत बढ़िया सन्देश ,सादर
जी बहन धन्यबाद सादर आभारी हूँ।
Deleteअच्छा संदेश प्रसारित करती सहज रचना।
ReplyDeleteधन्यबाद बहन।साभार
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