Wednesday, October 11, 2023

बालिका दिवस (हाइकु)

बालिका दिवस (हाइकु)

     मनाते हम                  करो प्रतिज्ञा 
बालिका दिवस ले      बालिकाओं की लज्जा 
     मन उमंग।                नहीं हो भंग।

     संतति यह            बालिकाओं के 
भी तो हमारी ही है     जीवन में भर दें
     हमारा अंग।            अनेक रंग।

   सिखाते सदा            किसी हाल में 
उनको हैं संस्कार      अन्याय न हो पाये
     बहुत ढंग।               इनके संग।

   ऊँची उड़ान            करें न कोई 
भरकर बालिका      उन्हें  राह  चलते 
    करती दंग।         कभी भी तंग।

 तो क्यों बालिका         न मानवता 
निज रक्षा के लिए     हो कभी शर्मसार 
    लड़ती जंग।            न बदरंग ।  

         सुजाता प्रिय 'समृद्धि'

Tuesday, October 10, 2023

मन-दर्पण (दोहे)

मन-दर्पण (दोहे)

दर्पण में सब देखिए,अपना रुप स्वरूप।
क्या दिखता यह रूप है,इस जग के अनुरूप।।

मन के दर्पण में जरा, देखें आप निहार।
अपने सुंदर रूप में, कर लें आप सुधार।।

त्वचा को लीप-पोतकर,निखार लिए रंग।
मन तो मैला ही रहा,दिखता है बदरंग।।
 
कान में पहने झुमके,इत-उत मारे डोल।
शोभा कानों की बढ़ा, सुनकर अच्छे बोल।।

नयनों में काजल लगा,सुंदर करते आप।
नजरों में समता भरो,मन को कर निष्पाप।।

नाक में नथ पहन लिए, बहुत बड़ा आकार।
गंध की पहचान नहीं,नथिया है बेकार।।

होठ को तो रंग लिए,लेपन लाली नाम।
बोली मीठी है अगर,लाली का क्या काम।।
      
       सुजाता प्रिय 'समृद्धि'

अभी तक तुम तैयार नहीं हो पायी (दोहे)

कहते हो तुम झिड़क कर,हुई नहीं तैयार।
समय निकलने का हुआ, दर्पण रही निहार।।

जाने का तो शौक है,पर करती हो देर।
ऊँची जूती ढूंढती,तुम जाने के बेर।।

इसीलिए तो मैं नहीं, लेकर जाता  साथ।
देरी करती तुम भला,कौन भुकाता माथ।।

पर क्या जानो तुम पिया,हम नारी की पीर।
सारे काम मैं करती,हो रहे तुम अधीर।।

तुमको लाकर दूँ सदा, कपड़े-जूते  पास।
इठलाते हो पहनकर, करते हो उपहास।

      सुजाता प्रिय 'समृद्धि'

Monday, October 9, 2023

निवास (दोहे)

मेरे दिल में लीजिए, ईश्वर आप निवास।
मन में मेरे है लगा,बस इतनी -सी आस।।

करती हूँ आराधना,हाथ जोड़कर आज।
शीश नवाकर कह रही,रख लो मेरी लाज।।

लेकर आई हूँ प्रभु मैं,आज आपके पास।
पूर्ण करें मन-कामना मन में है विश्वास।


Saturday, October 7, 2023

मेरे मन मंदिर में (घनाक्षरी)

मेरे मन-मंदिर में

ईश्वर का निवास है,
    और प्रेम का बास है,
        भरा हुआ उल्लास है,
            मेरे  मन - मंदिर में।

रहती सेवा-साधना,
   और सच्ची आराधना,
         मेल-मिलाप भी घना,
               मेरे  मन- मंदिर में।

प्रेम और  सद्भाव  है,
   दुष्प्रेम का आभाव है,
        न  कोई दुराभाव है,
             मेरे मन - मंदिर में।

सभी के लिए समता,
    सभी जीवों से ममता,
          प्यार नहीं है  कमता,
                मेरे  मन- मंदिर में।

               सुजाता प्रिय 'समृद्धि'

Friday, October 6, 2023

नदी की व्यथा (कविता)

नदी की व्यथा

कल- कल करती बहती नदिया।
   जन- जन से यह कहती नदिया।
      कूड़े -  कचरे मुझमें मत डालो।
         हे मानव जन ! मुझे बचा लो।

मुझमें तुम नाले बहा रहे हो।
   मुझमें  गंदगी  फैला  रहे हो।
      मूर्ति-विसर्जन मुझमें करते हो।
          फूल-अर्पण मुझमें करते हो।

पशुओं को मुझमें नहलाते हो।
   लाशों  को मुझमें ही दहाते हो।
      उद्योगों के अपशिष्ट फेंकते हो।
        मेरा  दुःख तुम नहीं देखते हो।

हो रहा है जल प्रदूषित मेरा।
   विषैले जीव ले रहे हैं बसेरा।
     घट रही है देख पवित्रता मेरी।
        विलुप्त हो रही अस्मिता मेरी।

मुझसे ही है तुम सबका जीवन।
   मुझसे है खेती,वन और उपवन।
      अपने जन को तुम  समझा लो।
         मानव तू मेरा अस्तित्व बचा लो।
            
         सुजाता प्रिय 'समृद्धि'

Wednesday, October 4, 2023

देवों पर श्रद्धा (हाइकु)

देवों पर श्रद्धा

    जिनका मन              सोने के दीये
श्रद्धा से भरा होता      गाय का घृत डाल 
   होते महान।              कर जलाते।

   भगवान को             भगवान की
पूजते हैं श्रद्धा से      सुमंगली-आरती
   करते ध्यान।            गुनगुनाते।

   गंगा जल से                हाथ जोड़ते 
देवताओं को सदा       शीश को झुकाकर 
   हैं नहलाते।                करें प्रणाम।

   रेशमी वस्त्र                  मानते सदा 
फूलों की माला गले      ईश के चरणों को 
   हैं पहनाते।                 अपना धाम।

ललाट पर                 देवों के प्रति 
चंदन का तिलक      हमारे मन में भी
    फिर लगाते।         श्रद्धा जरूरी।

   श्रद्धा से भोग               श्रद्धा रखिए 
फल मिश्री मेवे का।       देव मनोकामना 
   उन्हें चढ़ाते।                 करेंगे पूरी।

         सुजाता प्रिय 'समृद्धि'