Wednesday, July 30, 2025

शिव शंकर का ध्यान (महाश्रृंगार छंद )

तेरा मन होता है अधीर।
             जपो तुम शिव शंकर का नाम।।
चढ़ाओ शिव को गंगा नीर।
                      बनेंगे बिगड़े सारे काम।।

करो नित शिव का आलय साफ।
                   चढ़ाओ आक-धतूरा फूल।।
करेंगे भोला उसको माफ।
               हुआ जो जीवन में कुछ भूल।।

नहाकर हर-हर बम-बम बोल।
                   चढ़ाओ बेलपत्र तुम रोज।।
लगाओ चन्दन-रोली घोल।
               चढाओ कनेर कलियांँ खोज।।

लगाओ मेवा-मिश्री भोग।
            करो नित शिव-शंकर का ध्यान।।
मिटेंगे तेरे सारे रोग।।
                     करेंगे शिव तेरा कल्याण।।

चढ़ाओ शिव के माथे भांग।
                       जलाओ धूप दीप कर्पूर।।
अभय वर भोला से लो मांग।
                        जटाधर वर देंगे भरपूर।।

                    सुजाता प्रिय 'समृद्धि'

Sunday, July 27, 2025

शिव के मंदिर में भक्त हजार हैं

शिव के मंदिर में भक्त हजार हैं,
आज सोमवार है जी आज सोमवार है।
सभी मिलकर करते जयकार हैं,
आज सोमवार है जी.,,,,,,,,
आँक-धतुरा-भांग शिवजी को प्यारा है।
बेलपत्र ,सम्मी पत्र लगता उन्हें न्यारा है।
शिव जी के गले में सर्प की हार है।
आज सोमवार है जी....
शिवजी के मस्तक पर चमक रहा चाँद है।
डिम-डिम डमरू करता निनाद है।
इनके जटे से बहती जलधार है 
आज सोमवार है जी..........
औढरदानी शिव जी सभी को वर देते हैं।
भक्तों के दुखड़े सुन हर लेते हैं।
शिव जी को भक्तों से सुनो बड़ा प्यार है।
आज सोमवार है जी....
              सुजाता प्रिय 'समृद्धि'

Friday, July 25, 2025

प्रदीप छंद

तुम जग के हो पालक भोला, तिरछी तेरी चाल है।
जटे में तेरे गंगा शोभे,चंदा तेरे भाल है।
ललाट शोभे रोली -चंदन, भभूत तेरे गाल है।
कान में लटका बिच्छू -गोजर,गले सर्प की माल है।
हाथ में लेते त्रिशूल-डमरू, दूर भागता काल है।
मुट्ठी बांध कमण्डल रखते,तन पर मृग की छाल है।
भांग-धथुरा भोग तुम्हारा,खाते भरकर थाल है।
पीते हो तुम विष का प्याला,
बसहा पर चढ़ विचरण करते,
तीन लोक की रक्षा करने,आते बनकर ढाल हैं।
भूत-प्रेत तेरे संग रहते, नाचते देकर ताल हैं।
          सुजाता प्रिय 'समृद्धि'

Monday, July 21, 2025

जागो भाई

जागो भाई (ताटंक छंद)
१६-१४ पर यति

हुआ सवेरा,मिटा अंधेरा, अब तुम जागो भाई रे !
देखो सूरज लेकर आया,यह रक्तिम तरुणाई रे।
कलरव करते पक्षिगण देखो,चहक-चहक कर गाते हैं।
मिश्री-सी मीठी बोली में, मधुर तान सुनाते हैं।
गौशाले में गैया प्यारी,चाट रही है बछड़े को।
खुश होकर वह देख रही है, उसके भोले नखड़े को।
मंदिर में बजते घंटारव, गूँज यहांँ तक आती है।
भक्त सभी मिल नाच रहे हैं, सखियाँ मंगल गातीं हैं।
       सुजाता प्रिय 'समृद्धि'

Sunday, July 20, 2025

शंकर का दरवार (ताटक छंद)

शंकर का दरबार (ताटक छंद) १६,१३ पर यति

देखो लोगों कितना सुंदर, शंकर का दरबार है।
चमचम मानिक व मोतियों का, लटका बंदनवार है।।
देखो लोगों........
गले  शिव के सर्प की माला, त्रिशूल शोभे हाथ है।
फूल औ बेलपत्र चढ़ा है, चंदन कुमकुम माथ है।
मस्तक पर चन्द्रमा विराजे,जटा में गंग -धार है।।
चम-चम मानिक-मोतियों.............
भोग लगा है भांग-धथूरा, सुंदर सोने - थाल में।
बोल रहे सब हर-हर, बम-बम,एक सुर और ताल में।
भेद-भाव मन में ना कोई,हम सब शिव परिवार हैं।
चम-चम मानिक-मोतियों...............
नित्य यहांँ पर भक्त-लोग मिल, करते वंदन गान हैं।
ताल मिलाकर पूजन-अर्चन,करते एक समान हैं।
गाते सब मिल मंगल -वंदन, करते जय जयकार हैं।
चम-चम मानिक-मोतियों.................
ध्यान लगाकर जो जन आते, शंकर के दरबार में।
मनचाहा वर वे हैं पाते, शिव से पहली बार में।
शिव-शंकर हैं  औढरदानी, महिमा बड़ी अपार है।
चम-चम मानिक-मोतियों............
                सुजाता प्रिय 'समृद्धि'

Saturday, July 19, 2025

संगति का फल। एक मेले में एक शिकारी दो तोते था बेच रहा। एक का दाम पचास रुपए,एक का केवल एक रुपैया । एक राजा अचरज से पूछा दाम में इतनी अंतर कैसे।शिकारी बोला-जांँच कर देखें,फिर दीजिएगा मुझको पैसे। राजा ने पहले लाकर दोनों तोते को आजमाया। बारी-बारी से अपने सायन-कक्ष में दोनों को रखवाया। नींद खुली तो पहला तोता चिल्लाकर था बोल रहा। उठ रे मूर्ख निकम्मा!आलसी जैसा पड़ा है क्या। चल जल्दी से नकाब लपेटकर दूर देश में जाओ। धनिकों को बंदूक दिखाकर खजाना लूट कर लाओ। दूसरे दिन दूसरे तोते की बड़ी कान में मधुर आवाज।सुप्रभातम सुप्रभातम भोर हुई उठिए महाराज। स्नान ध्यान कर जल्दी से आप सभा में जाएंँ। समस्या सुनकर जनमानस के समाधान कुछ बतलाएंँ। आकर शिकारी ने बोला दोनों तोता एक मांँ की हैँ संतान। दोनों की मीठी कड़वी बोली संगति का है परिणाम। पहले तोता डाकुओं के अड्डे के पास रहता था। दूसरा तोता एक मुनि के आश्रम के निकट रहता था । जब मैंने दोनों को पकड़ा और सुना दोनों की बोल। एक का दाम एक रुपैया रखा,दूसरे का मोल-अनमोल। सुजाता प्रिय 'समृद्धि'