रघुपति राघव राजा राम।
पतित पावन सीता-राम।
ईश्वर अल्लाह तेरे नाम।
सबको सुम्मति दो भगवान्।
गाँधी के हम तीन बंदर।
छल-कपट नहीं मन अंदर।
रघुपति...........
मुंह बंद हम अपना रखते।
बुरी बात हम कभी न कहते।
रघुपति............
कान बंद रखते हम भाई।
कभी न सुनते कोई बुराई।
रघुपति..............
आँखें बंद हम रखते हैं।
बुरा कभी नहीं देखते हैं
रघुपति...............
सुजाता प्रिय 'समृद्धि'
आपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" पर शुक्रवार 17 जनवरी 2025 को लिंक की जाएगी ....
ReplyDeletehttp://halchalwith5links.blogspot.in पर आप सादर आमंत्रित हैं, ज़रूर आइएगा... धन्यवाद!
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सुन्दर
ReplyDeleteवाह
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