रघुपति राघव राजा राम।
पतित पावन सीता-राम।
ईश्वर अल्लाह तेरे नाम।
सबको सुम्मति दो भगवान्।
गाँधी के हम तीन बंदर।
छल-कपट नहीं मन अंदर।
रघुपति...........
मुंह बंद हम अपना रखते।
बुरी बात हम कभी न कहते।
रघुपति............
कान बंद रखते हम भाई।
कभी न सुनते कोई बुराई।
रघुपति..............
आँखें बंद हम रखते हैं।
बुरा कभी नहीं देखते हैं
रघुपति...............
सुजाता प्रिय 'समृद्धि'
No comments:
Post a Comment