ईश वंदना (सोरठा)
करूं नमन जगदीश, मैं चरण में शीश नवा।
मुझको दें आशीष, दुर्बलता मेरी हटा।
दें दो अपना प्यार, सदाचार करना सिखा।
कभी न मानूं हार,अच्छी राह मुझे दिखा।
हो मुझसे जो भूल,माफ कर देना ईश्वर।
कभी नहीं हो चूक, दया सदा करो मुझपर।।
बढ़ा सद्बुद्धि नाथ, हम भला सब काम करें।
कोई रहे अनाथ,सारा दुःख उसका हरें।।
सुजाता प्रिय 'समृद्धि'
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