Thursday, February 2, 2023

नज़र और नजरिया



नज़र और नजरिया

नज़र भी धोखा खाती है,
नज़र की बात ना मानो।
नज़र जो तुझको आती है,
सही है बात ना जानो।
नज़र भी धोखा............
जो हम सब देखते हैं,
नजरिया है हमारी।
जो दिखता है नजर को,
वहीं होता न सारी।
जैसे रूप में दिखता,
वहीं हालात ना मानो
नज़र धोखा भी..............
कभी हम झूठ को भी,
सच्च हैं मान जाते।
कभी सच्चाई को भी,
झूठी जान जाते।
नज़रिया साफ रखें हम
चाहे बात ना मानो।
नज़र भी धोखा ..........
नज़र में हैं जो साधु,
अंदर से चोर होते।
कपट जिनके न दिल में
बड़े मुंँह जोर होते।
किसी की झूठी बोली को
दिल ए जज़्बात ना समझो।
नज़र भी धोखा...........

      सुजाता प्रिय 'समृद्धि'

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