दहेज ना चाही (भोजपुरी भाषा)
कैलन दहेज समाज में तबाही।
बेटा बियाह में दहेज ना चाही।
जब हम बेटी के बियाह कईनी।
दहेज जुटाबे में की दिन बितैनी।
लोग परिवार से कईनी उगाही।
बेटा बियाह में दहेज ना चाही।
बेटी के बाप के खून नै चूसब।
उनका से तनी धन नहीं झूसब।
बनाइब न उनका कर्जा के राही।
बेटा बियाह में दहेज ना चाही।
करब ना बियाह में कोनो दिखावा।
अमीर बने के हम झूठा भुलावा।
देबे जो समधी तो करब मनाही।
बेटा बियाह में दहेज ना चाही।
सादगी से बेटा के बियाह रचाइब।
लक्ष्मी बहुरिया के घर में ढुकाइब।
माने में उनका ना करब कोताही।
बेटा बियाह में दहेज ना चाही।
सुजाता प्रिय 'समृद्धि'
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