बढ़े चलो बढ़े चलो
बढ़े चलो बढ़े चलो,वीर तुम बढ़े चलो।
सतत मन में धैर्य ले,धीर तुम बढ़े चलो।
बढ़े चलो बढ़े चलो...................
रक्षा की आस ले,बुला रही मांँ भारती।
त्रस्त मन की वेदना,ले तुझे गुहारती।
रख मन में चेतना गंभीर तुम बढ़े चलो।
बढ़े चलो बढ़े चलो...................
देश के लिए जीओ,देश के लिए मरो।
सामने हो काल तो,वीर तुम नहीं डरो।
रख मन में हौसले,तूफान से लड़े चलो।
बढ़े चलो बढ़े चलो...................
शत्रुओं से ले बचा,आज अपने देश को।
कृपाण से उतार दे,कपटियों के वेश को।
इंतकाम ही मुकाम है, सास्ते गढ़े चलो।
बढ़े चलो, बढ़े चलो....................
उपद्रवियों को रोक दे, तलवारों की नोंक से।
देश को उजाड़ने,जो आ रहे हैं झोंक से।
कदम नहीं बढ़ा सकें,काल बन अड़े चलो।
बढ़े चलो बढ़े चलो..................
सुजाता प्रिय 'समृद्धि'
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