हम सब होली खेले भाई,रखकर दो गज दूरी।
गुलाल के बदले मुखड़े पर,मास्क लगा जरूरी।
पिचकारी के बदले ले सेनिटाइजर की बोतल।
हैंडवाश साथ में रखी थी,भरी सीसी लोकल।
कोरोना से भयभीत दूर से, खेल रहे थे होली।
दूर रहें भाई-मित्रों से, नहीं बनाए हम टोली।
पिचकारी,गुव्वारे से ही हम पड़ाए सबको रंग।
दूर से गुलाल उड़ाए हम, रहे न किसी के संग।
नानी के दहीबड़े और पुआ, आनलाईन ही खाए।
फेसबुक पर होली मिलन के गीत झूमकर गाए।
बनी यादगार इस बार की होली,कोरोना के संग।
मटमैला गुलाल लगाऔ बड़ा ही फीका सब रंग।
सुजाता प्रिय 'समृद्धि'
स्वरचित, मौलिक
बढ़िया ऑनलाइन होली ... कोरोना स्पेशल
ReplyDeleteजी बहुत बहुत धन्यवाद।सादर नमस्कार
ReplyDelete