छोटा सजा है तेरा द्वार भवानी।
भक्तों की नहीं है कतार भवानी।
ना ही बड़ा पंडाल सजा है।
ना ही बाजे - ढोल बजा है।
ना मेला है,ना बाजार भवानी।
भक्तों की नहीं कतार भवानी।
छोटा सजा है.......
कोरोना का डर सब में समाया।
जन- जन का है मन घबराया।
इससे तू सबको उबार भवानी।
भक्तों की नहीं है कतार भवानी।
छोटा सजा है..........
दूर-दूर सब लोग खड़े हैं।
अपने-अपने घर में पड़े हैं।
फीका हो गया त्योहार भवानी।
भक्तों की नहीं है कतार भवानी
छोटा सजा है...........
करते हम घर में आराधन।
तेरी पूजा का यही है साधन।
घर में ही करें जयकार भवानी
भक्तों की नहीं है कतार भवानी।
छोटा सजा है............
हे कष्ट हरणी कष्ट मिटा दो।
दुनिया से यह संताप हटा दो।
सुन ले तू मेरी पुकार भवानी।
भक्तों की नहीं है कतार भवानी।
छोटा सजा है............
सुजाता प्रिय 'समृद्धि'
स्वरचित, मौलिक
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