Thursday, October 1, 2020

गाँधी के सपनों का भारत

मानवता की नई किरण बन घर-घर अलख जगाएँगे।
गाँधी के सपनों का भारत,मिलकर हम बसाएँगे।

नहीं कहेंगे भारत को इंडिया,
नहीं कहेंगे हिन्दुस्तान।
भरत नाम से भारत कहलाया,
ऱखेंगे हम इसका मान।
गाँधी के सपनों की खातिर,
यह अभियान चलाएँगे।
गाँधी के सपनों का..............

विदेशी कपड़े ना पहनेंगे,
गाँधी ने कहा था पहनों खादी।
आपस में मिल्लत-प्रेम बढ़ाओ,
जीवन रखो सीधी-सादी।
सत्य अहिंसा को अपनाकर,
जीवन सुखी बनाएँगेंं।
गाँधी के सपनों का............

देशी सामानों को अपनाएँ,
जला विदेशी माल की होली।
विदेशी भाषा को त्यागें हम,
बोलेंं सरल हिन्दी बोली।
विदेशी उत्पाद का बहिष्कार कर
देशी को अपनाएँगे।
गाँधी के सपनों का............

दीन-अनाथों की सेवा कर,
सत-पथ पर चलते जाएँ।
जात-पात का भरम मिटाकर,
हरिजनों को भी अपनाएँ
ऊँचे नीच और भेद-भाव को,
कभी न मन में लाएँगे।
गाँधी के सपनों का.........
      सुजाता प्रिय 'समृद्धि'

1 comment:

  1. दीन-अनाथों की सेवा कर,
    सत-पथ पर चलते जाएँ।
    जात-पात का भरम मिटाकर,
    हरिजनों को भी अपनाएँ
    ऊँचे नीच और भेद-भाव को,
    कभी न मन में लाएँगे।
    गाँधी के सपनों का....
    सखी भारत में यदि गाँधी के सपने पुरे हों जाएँ तो रामराज्य ही आ जाए सखी | भावपूर्ण प्रेरक रचना |

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