विक्रम भोजन करने जा रहा था।
माँ ने पूछा- विक्की! तूने हाथ धोया ?
हाँ माँ! विक्रम ने अपने दोनों हाथ माँ को दिखाते हुए कहा।
माँ ने उसके हाथों का निरीक्षण किया और उसके साफ-सुथरे हाथों को देख चकित होती हुई बोली- वाह विक्की ! तुम्हारे हाथ तो बिलकुल साफ है।तुमने कब से अपने हाथों की सफाई करना शुरु किया।तुम तो हाथ धोने से कतराते थे।
विक्रम ने कहा- जब से कोरोना का प्रकोप छाया।अब तो हाथों की साफ और शुद्ध रखने के महत्व को सारी दुनिया समझ रही है और इसे अपनी दिनचर्या में शामिल कर रही है ।नहीँ तो वे हाथ धुलाई से अच्छा चम्मच से खाना ज्यादा पसंद करते थे।
इसके पहले हमारे संस्कार-शिक्षा के आचार्य जी ने कक्षा में शरीर के अंगों की सफाई के महत्व को समझाते हुए बताया था कि शरीर के सभी अंगों की सफाई यथोचित करना चाहिए।लेकिन सबसे ज्यादा ध्यान हाथों की सफाई पर देना चाहिए। खाना खाने से पहले और खाना खाने के बाद हाथों की सफाई अवश्य करनी चाहिए।
जब मैंने पूछा- कि भोजन के पश्चात तो हमें इसलिए हाथ धोने चाहिए कि भोजन के अवशेष हमारे हाथों में लगे होते हैं ।किंतु भोजन के पूर्व हाथ धोने का क्या मतलब।उस समय तो हमारे हाथ साफ ही होते हैं।
तो आचार्य जी ने समझाते हुए कहा-हमें हाथ को देखकर ऐसा लगता है कि यह बिलकुल साफ है।किन्तु वह पूरी तरह से गंदा होता है।जाने कब-कब हम हाथों से क्या छूते हैं , हमें भी याद नहीं होता।हाथों से हम शरीर के सारे अंगों को छूते ,सहलाते, खुजलाते एवं धोते हैं।उस समय सारी गंदगी एवं कीटाणु हमारे हाथों में आ जाते हैं।अगर हम बिना हाथ धोए खाएँगे तो हाथों की सारी गंदगी एवं कीटाणु मुँह के द्वारा हमारे शरीर में प्रवेश कर हमें अस्वस्थ्य बना देगा।
माँ ने खुश होते हुए कहा-बहुत ही अनुकरणीय शिक्षा दी तुम्हारे आचार्य जी ने।आज देखो न कोरोना से बचाव के लिए भी हाथ धोना आवश्यक है।
जब मेरे विक्की बेटा हाथ धोने के महत्व को समझ गया तो सारी दुनिया तो अवश्य इसके महत्व को समझेगी और अपनाएगी ही।
विक्की भोजन समाप्त कर पुनः हाथों की सफाई में लग गया।
सुजाता प्रिय'समृद्धि'
स्वरचित ( मौलिक)
Thursday, October 15, 2020
हाथों की सफाई ( लघु कथा )
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बहुत खूब सखी | भारतीय संस्कृति के संस्कार ही स्वच्छता पर आधारित हैं कोरोना ने सफाई का महत्व अच्छी तरह सिखा दिया | प्रेरक लघु कथा |
ReplyDeleteसादर धन्यबाद सखी।आपकी प्रतिक्रिया की इंतजार रहती है।
ReplyDeleteबहुत-बहुत धन्यबाद सखी रेणु जी।आपकी प्रतिक्रिया हमेशा संबल प्रदान करती है।सादर नमस्कार।