मेरे लिए मन में प्यार पालकर देखो,
एक नजर मुझपर डालकर दैखो।
माना कि मैं कोई हूर की परी ना हूँ,
तुम अपने रूप को खंगालकर देखो।
किसी बहकावे में कतराओ ना मुझसे,
अपने दिल में मुझे संभालकर देखो।
मैं बुरी लगती हूँ महफिल में अगर,
दिल में मेरा अक्श डालकर देखो।
क्यूँ इतराते हो खुद पे मीत मेरे तुम,
अपने मन में थोड़ा सवाल कर देखो।
आज तुझसे मेरी यह गुजारिस है कि,
मेरे साथ खुद को भी ढालकर देखो।
सुजाता प्रिय'समृद्धि'
स्वरचित मौलिक
जी सादर नमस्कार।मेरी रचना को सांध्य मुखरित मौन में साझा करने के लिए हार्दिक धन्यबाद।
ReplyDeleteसुन्दर सृजन
ReplyDeleteसादर धन्यबाद एवं आभार सर
ReplyDeleteबहुत बढ़िया
ReplyDeleteबहुत-बहुत धन्यबाद भाई!
Deleteबहुत सुंदर सृजन सखी , सुंदर असरार।
ReplyDeleteसादर धन्यबाद एवं नमन सखी।
Deleteमेरे लिए मन में प्यार पालकर देखो,
ReplyDeleteएक नजर मुझपर डालकर दैखो।
माना कि मैं कोई हूर की परी ना हूँ,
तुम अपने रूप को खंगालकर देखो।
वाह सखी नारी के आत्माभिमान का दर्पण ये रचना खूब है |सस्नेह शुभकामनाएं सखी |
सादर धन्यबाद एवं स्नेहिल अभिवादन सखी।
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