Thursday, April 23, 2020

बड़ों का फर्ज

एक गाय जब गौशाले से निकलकर घास चरने जाती तो किसी-किसी घर के दरवाजे पर उसे एक-एक रोटी मिल जाती।उसे वह बहुत खुश होकर खाती।एक दिन जब उसे पहली रोटी मिली और वह उसे खाने के लिए बढ़ी,तभी एक कुत्ता रोटी लेने के लिए झपटा।गाय रोटी छोड़ कर आगे बढ़ गई।
दूसरे दरवाजे पर भी उसे रोटी मिली । उस समय भी एक बिल्ली सहमती हुई आई और रोटी लेने के लिए बढ़ी। गाय ने उस रोटी को भी छोड़ दिया।
अगले दरवाजे पर भी उसे रोटी मिली ।एक मुर्गा दौड़ता हुआ लपका।गाय ने उस रोटी को भी छोड़ दिया।
कुछ दूर चलने के पश्चात फिर किसी ने उसे रोटी दी।एक कौआ भूख से व्याकुल हो उसे उठाना चाहा।गाय ने उस रोटी को भी छोड़ दिया।
उसकी इस क्रिया को उसके निकट घास चरता हुआ एक साँढ़ बड़ी तन्मयता से देख रहा था।उसने गाय से पूछा-तुमको इतनी रोटियाँ खाने के लिए मिलती हैं जिसे खाकर तम्हारा पेट भर जाता।पर, तुम उन प्राणियों के आगे बढ़ते ही उनके लिए रोटियाँ छोड़ दी।क्या तुम्हें रोटियाँ अच्छी नहीं लगती।
गाय बोली- मुझे रोटियाँ अच्छी तो बहुत लगती हैं।लेकिन उतनी रोटियों से मेरा पेट नहीं भरता।अगर मैं उनके लिए रोटियाँ छोड़ दी तो उनकी भूख तो मिटी।मैं तो अपना पेट घास खाकर भी भर लूँगी।लेकिन कुछ जीव एेसे हैं जो घास नहीं खा सकते।उनके लिए रोटियाँ उपयोगी थीं।फिर मै उन सभी से बड़ी हूँ।इसलिए, मेरा फर्ज है कि मैं अपने से छोटों का ख्याल रखूँ।
साँढ़ ने उसे सम्मान से देखते हुए कहा-तुम्हारी इन्हीं ममतापूर्ण गुणों के कारण तो सभी लोग तुम्हें माँ कहते हैं।सचमुच तू बड़ी महान है।

       सुजाता प्रिय 'समृद्धि'
          स्वरचित मौलिक
          २४/०४/२०

8 comments:

  1. आपकी लिखी रचना "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" आज शुक्रवार 24 एप्रिल 2020 को साझा की गई है.... "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!

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  2. जी सादर नमन दीदीजी।मेरी रचना को सांध्य मुखरित मौन में साझा करने के लिए हृदय तल से आभार।

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  3. आपकी संदेशात्मक जातककथा को याद दिलाती हुई लघुकथा प्रसंशनीय है।
    ( वैसे बनारस की गलियों में लोग साँढ़ को भी बड़ी श्रद्धा और तन्मयता से रोटी या अन्य खाद्य पदार्थ खिलाते हैं।)

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    1. बहुत-बहुत धन्यबाद भाई! लोगों को अपना श्रद्धा और विश्वास होता है हर प्राणि का अपनी-अपनी जगह महत्व होता है।यह तो एक काल्पनिक कहानी है ।अन्यथा न लें।

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  4. साँढ़ ने उसे सम्मान से देखते हुए कहा-तुम्हारी इन्हीं ममतापूर्ण गुणों के कारण तो सभी लोग तुम्हें माँ कहते हैं।सचमुच तू बड़ी महान है।
    बहुत सुन्दर संदेश देती लाजवाब लघुकथा।

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    1. सादर धन्यबाद सखी।कहानी के भावों को आपने भली प्रकार समझा।

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  5. सुंदर प्रेरक बोध कथा सखी सुजाता जी |

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  6. बहुत-बहुत धन्यबाद सखी रेणु जी।

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