खूब फरमाया आपने
कुल्हड़ में चाय पीने का
मजा ही कुछ और है।
गौर तलब हो कि क्यूँ
कुल्हड़ में चाय पीने का
मजा ही कुछ और है ?
हाँ जी हाँ मैं ही बताये देती हूँ।
भलि प्रकार
आप सबको समझाये देती हूँ।
क्यों
चाय पीने का मजा कुल्हड़ में है।
अजी प्याले में वो खुशबू कहाँ
जो हमारा प्यारा कुल्हड़ में है।
स्वदेशी माटी की सोंधी- सोंधी,
भीनी -भीनी खुशबू से भरपूर।
पवित्रता व प्यार के लिए
सारी दुनियाँ में मशहूर।
अगर चाय मिट्टी के चुल्हे पर
गोइठे की आँच पर बनी हो।
तो कुछ और मजा आता है।
चाय मिट्टी की पतीली में बनी हो
तो कुछ और मजा आता है।
चाय में चीनी की जगह,गूड़ मिला हो
तो कुछ और मजा आता है।
पाउडर के बदले गैया का दूध मिला हो
तो कुछ और मजा आता है।
वैसे,इक राज की बात बताऊँ।
सच्ची है बात, अभी समझाऊँ।
मैं खुद चाय नहीं पीती,
लेकिन सबको पिलाती हूँ।
इतने सारे अनुभव मैं,चाय
पीने वालों से ही पाती हूँ।
अगर आपको भी पीनी है,
देशी माटी की पतीली में,
देशी गाय के दूध की बनी,
सोंधी और मीठी चाय।
तो अपनी माटी की कुल्हड़ में,
गरमा- गरम पिलाऊँ।
कहें तो थोड़ा अदरक और
तुलसी भी डाल स्वाद बढ़ाऊँ।
सुजाता प्रिय
वाह !चाय का मजा ही आ गया ,स्वादिष्ट रचना ,सादर
ReplyDeleteबहुत-बहुत धन्यबाद सखी।सादर एवं सप्रेम नमस्ते।
Deleteजी मेरी रचना को कैसे जान- बचाऊँ चर्चा अंक में साझा करने के लिए हार्दिक धन्यबाद एवं आभार।सादर नमन एवं शुभरात्रि।
ReplyDeleteवाह सखी एक तो चाय ऊपर से कुल्हड़ में और इस ठिठुरती ठंड़ में बस मज़ा आ गया,उसपर उसके इतने धनात्मक परिणाम।
ReplyDeleteबहुत सुंदर सृजन।
बहुत-बहुत धन्यबाद सखी
ReplyDeleteआपकी लिखी रचना "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" आज शुक्रवार 20 दिसम्बर 2019 को साझा की गई है...... "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
ReplyDeleteजी दीदीजी आपको सादर नमन।सांध्य दैनिक मुखरित मौन में मेरी रचना को साझा करने के लिए हार्दिक धन्यबाद एवं आभार।
Deleteवाह!सखी ,बहुत अच्छी चाय पिलाई अपने । सुंदर सृजन ।
ReplyDeleteबहुत-बहुत धन्यबाद सखी।
ReplyDeleteआपकी लिखी रचना "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" आज सोमवार 20 सितम्बर 2021 शाम 3.00 बजे साझा की गई है.... "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
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