संकल्प करें अब दिवाली में,
विदेशी दीप नहीं जलाएँगे।
माटी से बना देशी तेल का
दीया हम सभी जलाएँगे।
चाईनिज दीपों की लरियाँ,
हम घर में नहीं लगाएँगे
आमपत्र का बंदनवार औ,
पुष्पमालिका से घर सजाएँगे
प्लास्टिक स्टीकरों की चित्र-
स्वस्तिक कहीं नहीं चिपकाएँगे।
आटे-चावल, हल्दी गुलाल की
रंगोलियों से द्वार सजाएँगे।
घर की सफाई कर सड़कों पर
हम कचरे नहीं फैलाएँगे।
कोना-कोना स्वच्छ बनाने को
सफाई अभियान चलाएँगे ।
कैडवरी चॉकलेट सिन्थेटिक
मिठाईयाँ नहीं हम खाएँगे।
घर में बनाकर शुद्ध लड्डू -
पेड़े, खाजा-बर्फी खाएँगे।
तीब्र आवाज के पटाखे छोड़ ,
ध्वनि-प्रदूषण नहीं बढ़ाएँगे।
शुद्ध वायु में विषैले वारूद
का धुआँ नहीं फैलाएँगै।
जानलेवा शराब को पीकर
अपना सीना नहीं जलाएँगे ,
फलरस और शर्बत पीकर
दिवाली का जश्न मनाएँगे।
खून-पसीने की कमाई को
हम जुए में नहीं गवाएँगे।
पढ़ा-लिखा बेटा-बेटी को
शिक्षित-सभ्य बनाएँगे।
. सुजाता प्रिय
जी नमस्ते,
ReplyDeleteआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल रविवार (२० -१०-२०१९ ) को " बस करो..!! "(चर्चा अंक- ३४९४) पर भी होगी।
चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट अक्सर नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
आप भी सादर आमंत्रित है
….
अनीता सैनी
बहुत-बहुत धन्यबाद अनीता बहन! मेरी इस प्रविष्टि की चर्चा बस करो !! चर्चा अंक में करने के लिए।सादर आभार।
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ReplyDeleteजी नमस्ते,
आपकी लिखी रचना हमारे सोमवारीय विशेषांक
२१ अक्टूबर २०१९ के लिए साझा की गयी है
पांच लिंकों का आनंद पर...
आप भी सादर आमंत्रित हैं...धन्यवाद।,
मेरी रचना को सोमवारीय विशेषांक में साझा करने के लिए हार्दिक धन्यबाद स्वेता।सप्रेम
ReplyDeleteवाह! खूबसूरत ,संदेश देती हुई लाजवाब रचना सखी !
ReplyDeleteबहुत-बहुत धन्यबाद सखी! आभार
Deleteशुभकामनाएं। सुन्दर रचना।
ReplyDeleteजी सादर धन्यबाद एवं आभार आपका भाई! दिवाली की हार्दिक शुभकामनाएँ।
Deleteसुंदर शिक्षाप्रद अभिव्यक्ति।
ReplyDeleteसुंदर काव्य धारा।
दीवाली की हार्दिक शुभकामनाएं।
सादर धन्यबाद सखी।आपको भी दिवाली की हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएँ।
Deleteबहुत अच्छा मार्गदर्शन किया आपने।
ReplyDeleteधन्यबाद भाई।इन मार्गों पर चलने वाले सदा लिखी रहेंगे। दिवाली की हार्दिक शुभकामनाएँ।
Deleteबहुत सुन्दर सार्थक सारगर्भित लाजवाब सृजन...
ReplyDeleteवाह!!!
बहुत-बहुत धन्यबाद सुधा जी।दिवाली की हार्दिक शुभकामनाएँ।
Deleteवाह! दीये के आलोक-सी रास्ता दिखाती यह प्यारी कविता! बधाई!!!
ReplyDeleteधन्यबाद भाई।दिवाली की हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएँ।
Deleteबहुत सुंदर प्रेरणादायी विचार। सच्ची अब त्योहारों को मनाने के तरीकों में सकारात्मक परिवर्तन होने ही चाहिए।
ReplyDeleteधन्यबाद सखी।हम सभी मिलकर यह साकारात्मक सोंच रखें तभी बदलाव संभव है।दिवाली की हार्दिक शुभकामनाएँ।
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