Wednesday, August 28, 2019

हमारा जीवन

     जन्म-मरण के ,
       कालचक्र में,
फँसा हमारा जीवन है।

     काम-क्रोध की ,
      पहन चोलना,
लोभ-मोह का बंधन है।

       अहंकार वश ,
        रोग ग्रस्त है,
आधि-व्याधि दुःख दंशन है

        शान-घमंड में ,
         बीता जीवन,
छल-कपट का अंतिम इंधन है।

         ईर्ष्या-द्वेष की,
         चिता जली है,
झुलस रहा अब तन-मन है।
       
         सुजाता प्रिय

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