कहती खूब कहानी जी-----
मेरी बूढ़ी नानीजी।
कहती खूब कहानी जी।
कभी सुनहरी परियों वाली,
चुनरी ओढ़े परियों वाली,
पेड़ों पर की चिड़ियों वाली,
जिसकी मीठा वाणी जी।
कोई भूत- पिशाचों वाली,
जादू- खेल तमाशों वाली,
जमींदार और दासों वाली,
बातें सभी पुरानी जी।
कुछ में भालू - बंदर होेते,
सिंह पिंजरे के अंतर होेते,
कुछ में अंतर -मंतर होेते,
कुछ में राजा- कहानी जी।
फूलों और गुलदस्ते वाली,
हल्वे - पूरी नस्ते वाली ,
छोटी- मोटी सस्ते वाली,
करते आना- कहानी जी।
सुजाता प्रिय
व्वाहहह..
ReplyDeleteबचपन याद आया..
सादर...
वाह !
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