Tuesday, October 7, 2025

गणेश वंदना

गौरी मां के नंदना को बार-बार वंदना।
बार-बार वंदना,हजार बार-बार वंदना।
गौरी मां के नंदना................
माथे मुकुट शोभे,गले में मोती माला।
अंग पीताम्बर  है कांधे पर दुशाला।
हाथ गौरी सुत का शोभ रहा कंगना।
गौरी मां के नंदना.............
एक दांत,चार हाथ, वदन बड़ा भारी।
सूप-कान, सूढ-नाक, मूष है सवारी।
लिडार पर देखो,चमक रहा चंदना।
गौरी माँ के नंदना...............
लड्डू-मोदक खाते हैं,



Sunday, September 28, 2025

माता कात्यायनी

जय माता कात्यायनी ( विजया घनाक्षरी)

है चार भुजाओं वाली,
    ले  कमल फूल वाली,
       कात्यायन की बिटिया,
            कात्यायनी कहलाई ।

जय माता कात्यायनी,
      शीघ्र हो फलदायिनी,
          दुर्गा  का  षष्ठम रूप,
              लेकर है माता आयी।

महिमा   तेरी  अनूप,
    समझे  न देवा- भूप,
        ले कर बालिका रूप,
            कात्यायन घर आयी।

सुनो दुनिया के लोग,
    रलगाओ मधु का भोग, 
          होबे    नहीं   चर्मरोग,
               माताजी है बतलाई।

                     सुजाता प्रिय 'समृद्धि'

Sunday, September 21, 2025

जनम लिए नन्द लाल (श्रीकृष्ण भजन )

जन्म लिए नंद लाल,बधाई  भारत को।
यशोमती के लाल,बधाई..................
यमुना तट पर,सुबह-सबेरे,
मुरली-धुन में राग बिखेरे, 
छेङे सुर-लय-ताल,बधाई..................
गैया चराकर वन-उपवन में,
भरे जन-जन के वे मन में,
गौ पालन की चाल,बधाई..................
अर्जुन के सारथी बनकर, 
गीता का उपदेश सुनाकर,
मन से संदेह निकाल,बधाई................
भरी सभा में चिर को बढाए।
वे द्रौपदी की लाज बचाए।
सुनकर उनकी हाल, बधाई...............
गिरी उठाकर छत्र बनाए।

Thursday, September 18, 2025

अम्बे माँ की चुनरिया

लहर -लहर लहराए रे अम्बे माँ की चुनरिया।
मैया की चुनरी में गोटा लगा है,हाँ गोटा लगा है।
मोती की लरियांँ सजाओ रे अम्बे माँ.........
मैया की चुनरी में सितारा जड़ा है,हाँ सितारा जड़ा है।
लड़का भी उसमें बिठाओ रे, अम्बे माँ........
मैया की चुनरी में मोती लगा है,हाँ मोती लगा है,
घुंघरू भी उसमें लगाओ रे, अम्बे माँ.........
मैया की चुनरी में प्रेम भरा है, हाँ प्रेम भरा है।
ममता का मिलता छांँव रे, अम्बे माँ............

अम्बे गीत (मैया जी की चुनरी/

मैयाजी की चुनरी हवा में लहराए रे।
जैसे विजयी झंडा गान फहराए रे।
मैया जी की चुनरी........
सोने की सुराही में गंगाजल भरा है।
मैया जी को मधुरस बहुत मन भाए रे।
मैया जी की चुनरी............
सोने की थाली में दाख -छुहारा,
मैया जी को नारियल का भोग बड़ा भाए रे।
मैया जी की चुनरी........
बेली-चमेली का माला बना है,
मैं जी को उड़हुल का फूल बड़ा भाए रे।
मैया जी की चुनरी.......
कंचन थाल कपूर की बाती,
मैया जी को सब मिली आरती उतार रे।
मैया जी की चुनरी ......
मैया बैठी है बाघ के ऊपर,
भक्तों को देख कर बाघ शरमाय रे।
मैया जी की चुनरी..........

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जय अम्बे (मगही गीत)

लेके हमें पूजा के थरिया,अइली अम्बे माँ के दुअरिआ।
रहे ले मैया के बनैया,मैया के भावे ने कोठा-अटरिया।
आज मैया के हई पुजनिया,सांंझ पहर के गेली बजरिया,
मैया ले रैली हरियर अंँगिया, ओढ़े लगी वाली चुनरिया।
हाथ ले लैली चूड़ी-मुनरिया,पांँव ले लैली बिछिया पायलिया।
गले में हरबा लैली हजरिया,कान में झुमका 
नारियल केला भोग लगैली, काजू-किशमिश दाख छोरियां।
चरण में मैया के माथे नवैली,हमरा पर मैया फेरा नजरिया।
        सुजाता प्रिय 'समृद्धि'