Friday, September 30, 2022

पंचम देवी स्कंदमाता



पंचम देवी स्कंदमाता

सृष्टि की रचनाकर आओ हे स्कंदमाता।
नमन बारम्बार तुम्हें कार्तिकेय की माता।

तुम ही हो माँ बल-बुद्धि- विद्या स्मृति।
तेरे ही आशीष से माता,हम पाते हैं कीर्ति।

तुमसे समस्त सृष्टि में माँ आती है गति।
तेरी कृपा से ही पाते हैं हम मूढ़ सुमति।

तुम ही श्रद्धा तुम ही हो माता परम दयालु।
अपने भक्तों पर माता रहती तुम कृपालु।

तुम ही क्षमा तुम हो क्षुधा- तृष्णा- सज्जा।
तुम ही श्रद्धा -सुधा,रखती जन की लज्जा।

तुम ही में संसार समाया ,तुम ही से है शक्ति।
तुम्हारी पूजा सब जन करते मन में रख भक्ति।

तेरे मुखड़े पर शोभित है मातृत्व की कांति। 
उद्वेलित मन में तुम लाती हो माता शांति।

संसार की रानी तुम ही,हे जय जगदंबा माता।
तेरा आलोक सभी जनों को है राह दिखाता।
         सुजाता प्रिय 'समृद्धि'
जय माँ अम्बे,जय जगदम्बे,🙏🙏

Thursday, September 29, 2022

चतुर्थ देवी कूष्माण्डा माता

कुष्मांडा माता (कविता)
अष्ट भुजाओं वाली कुष्मांडा माता!
तेरी जय हो, जय हो, जय हो। 
करती है तुम सिंह सवारी माता!
तेरी जय हो,जय हो,जय हो।

चतुर्थ रूप यह तेरा मैया सब लोगों को है भाए। 
मुख मंडल पर दिव्य आलोक सदा ही सुख पहुंचाए।
उत्साह उमंग भरने वाली माता !
तेरी जय हो,जय हो, जय हो।

हाथों मैं है धनुष,बाण और गदा, चक्र।
कमंडल, कलश,कमल-पुष्प माला प्रवर। 
सबको देती वरदान तू माता ! 
तेरी जय हो,जय हो,जय हो।

विविध प्रकार फल भोग लगाएंँ हे कुष्मांडा माता।
शुद्ध मन से करें आराधना तुम ही हो सुख दाता।
मनोवांछित फल प्रदान तू करती माता।
तेरी जय हो,जय हो,जय हो ।

भक्त जनों पर सदा ही तेरी रहती कृपा दृष्टि।
तुम ही हो माँ जगत जननी रचने वाली सृष्टि।
तुम संसार चक्र चला जग प्रकाशित करती माता।
तेरी जय हो,जय हो,जय हो।

        सुजाता प्रिय 'समृद्धि'

Tuesday, September 27, 2022

माँ चंद्रघंटा (कृपाण घनाक्षरी)

मांँ चंद्रघंटा (कृपाण घनाक्षरी )

बात बहुत है गूढ़,
     पक्षिप्रवर गरूड़,
         पर होकर आरूढ़,
             माँ चंद्रघंटा घूमतीं।

आतीं हैं घर आँगन,
      देतीं हैं सुख-साधन,
            आपदा का निवारण,
                 दुःख सभी का सुनतीं।

करें हम आराधना,
      त्रि दिवस उपासना,
         शक्ति रूप की साधना,
               हो प्रसन्न माँ झूमती।

आद्याशक्ति दुर्गा माता,
      जग भर में विख्याता,
             शक्ति-संपत्ति दाता,
                 भक्तों को न भूलती।

               सुजाता प्रिय 'समृद्धि'

जय मैया चंद्रघंटा

जय मैया चंद्रघंटा

भैया चंद्रघंटा का रूप,तेरी महिमा अगम अनूप।
चाहे रंक धनी या भूप,सबको भाए तेरा रूप।
मैया चंद्रघंटा..........
पक्षिप्रवर गरूड़ पर आरूढ़ जग में विचरण करती।
उग्र कोप और रौद्र रूप में सबका चिंतन करती।
अपने भक्तों के अनुरूप,सबको भाये तेरा रूप।
मैया चंद्रघंटा.............
त्रिशूल गदा तुम हाथ में लेकर सबकी रक्षा करती।
जल में ठंडक,आग में गर्मी,तुम ही माता भरती।
विभिन्न रुप में शक्तिरूप,सबको भाये तेरा रूप।
मैया चंद्रघंटा..........
मुझ पर भी तुम दया करो मां,मैं भी तेरी बिटिया।
कभी तो मेरी सुध- बुध लेने, आओ मेरी कुटिया। 
तुम हो ममता का स्वरुप,सबको भाये तेरा रूप।
मैया चंद्रघंटा .................
            सुजाता प्रिय 'समृद्धि'
                    स्वरचित

द्वितीय माता ब्रह्मचारिणी (हाइकु)

माँ ब्रह्मचारिणी (हाइकु)

   ब्रह्मचारिणी 
माँं धारण करती 
   नथ-कुण्डल।

    कर कमलों
में अक्ष माला और
   है कमण्डल।

   वेद-पुराण 
उपनिषद  और 
 सभी ग्रंथों में।

   माँं की महिमा 
का विवरण लिखा 
   सब संतों ने।

 शक्ति-सृष्टि की 
मूल नाड़ी-चेतना 
   सर्वव्यापी है।

  दुर्गा माता की 
उपासना प्राचीन 
  व अनादि है।

   महाशक्ति मांँ
परमात्मा रूप में 
  अति सुशीला।

   विभिन्न रुप 
धर कर हैं करती 
  विविध लीला।

 मांँ आदिशक्ति 
परम  महाशक्ति 
  हैं दया शक्ति।

  ब्रह्म रूप में 
विचरण  करती 
 हैं माया शक्ति।

सुजाता प्रिय 'समृद्धि'

Monday, September 26, 2022

मैया शैलपुत्री (मगही भाषा)

मैया शैलपुत्री (मगही भाषा)

हे शैलपुत्री मैयाजी तोहर महिमा अपरम्पार।
भक्तन के भीड़ देखा मैया,लगल है तोहर द्वार।

आधा चंदा के माथा पर तू धारण कैली मैया।
भोला बाबा ऐसन वृषभ सवारी तू कैली मैया।
शूल धारिणी मैया तोहर रूप के सभे निहार।
भक्तन के भीड़ देखा.............
अखिल व्रह्माण्ड के उत्पन्न तू ही कैली मैया।
चराचर जगत के पालन करे वाली तू ही मैया।
आदि शक्ति दुर्गा मैया, रूप में बड़ी निखार।
भक्तन के भीड़ देखा............
लक्ष्मी-सरस्वती,राधा-सीता,सब है तोहर रूप।
महामाया-माया, प्रकृति विद्या-अविद्या,आदि-अनूप।
जगदीश्वरी, महेश्वरी, परमेश्वरी नाम तिहार।
भक्तन के भीड़ देखा..........
सुजाता प्रिय 'समृद्धि'

Sunday, September 25, 2022

बेटियांँ (दोहे)


बेटियाँ (दोहे )

बेटियों से दुर्भावना, क्यों करते हैं लोग।
जन्म लेते ही बेटियांँ,लगती कोईर्रट रोग।

बेटी रखती मान है, दोनों कुल-परिवार।
जग वालों को बेटियांँ, फिर लगती क्यूँ भार।

बेटियांँ भी होती है,मात-पिता का अंश।
फिर बेटी को देखकर, क्यों है मारे दंश।।

क्यों बेटी को देखकर, चुभता मन में शूल।
बेटी तो परिवार की, होती कोमल फ़ूल।।

बेटी लक्ष्मी -शारदा, दुर्गा की अवतार।
पढ़-लिख देखो बेटियांँ,कर रहीं रोजगार।।

बेटियाँ भी होती हैं,अपनी ही संतान।
उसको भी हमने जना, दिया  न कोई दान।।

पढ़ा लिखा काबिल बना,दो इसको सम्मान।
बिटिया हमको है दिया, ईश्वर ने वरदान ।।

बेटियों के विवाह में,लेते लोग दहेज।
बेटी पा न खुश रहते,रखते नहीं सहेज।।

बेटी को ना मानिए,कभी मही पर भार।
बेटी से घर शोभता, शोभित है संसार।।

बेटियों से होते हैं,जीवन का कल्याण।
कल की जननी है सुता,तू बात हमारी मान।।
               सुजाता प्रिय 'समृद्धि'