Thursday, November 9, 2023

दीपक (हाइकु)

दीपक (हाइकु)

  दीपक प्यारा
करता उजियारा
 है कोना-कोना।

   तम हरता
जगमग करता
 लगे सलोना।

    आ चलें हम
मिटा देने को तम
   दीप जलाएँ।

    दीप लेकर
पंक्तियाँ बनाकर
    घर सजाएँ

  दीप जलें हैं
चहुं ओर सजे हैं
  सुखी जीवन 

   घर आँगन
दीपक से रोशन 
   हर्षित मन 

सुजाता प्रिय 'समृद्धि'

Wednesday, November 8, 2023

मधुसूदन से प्रार्थना

भजन

मेरे अंतस के अवगुण को,हटा दो आज मधुसूदन।
मेरे उर में तू सद्गुण ,को बसा दो आज मधुसूदन।
बसा दो आज मधुसूदन, बसा दो आज मधुसूदन।
मेरे अंतर के.......................
मुझे सब लोग कहते हैं,बुरी है तू,बुरी है तू।
अगर मुझमें बुराई है,हटा दो आज मधुसूदन।
मेरे अंतर के ......................
विनय तुझसे यही केशव,कभी सत्पथ से ना भटकूं।
सदा सन्मार्ग पर चलना,सिखा दो आज मधुसूदन।
मेरे अंतर के................
सदा जग-प्राणि के हित में,करें सब काज हे माधव!
मेरे मन में सफल-ज्योति,जला आज मधुसूदन।
मेरे अंतर में ...............
सदा मैं दीन-दुखियों के,दुःख को दूर कर डालूँ।
सदा सबको सुखी करना,सिखा आज मधूसुदन।
मेरे अंतस के...............
सुजाता प्रिय 'समृद्धि'


सुजाता प्रिय 'समृद्धि'

दीप ज्योति (चौपाई)

दीप ज्योति (चौपाई)

देख आज दीवाली आयी।
दीप ज्योति है जगमगायी।।

प्रकाशित है घर और आँगन।
चहुं दिशा लग रहा मनभावन।।

जगमग-जगमग दीप जलें हैं।
पंक्ति बद्ध सब ओर सजे हैं।।

दीप ज्योति जला लो भाई।
लक्ष्मी मातु मना लो भाई।।

     सुजाता प्रिय 'समृद्धि'

Tuesday, November 7, 2023

दीपोत्सव (सवैया)



दीपोत्सव (सवैया)

दीप जला घर आँगन में तुम,
         आज सभी खुश होकर भाई।
राम-सिया घर आज पधारे,
              नाचत गावत देत बधाई।।
आज यहाँ सबका मन हर्षित,                       
            देख अमावस रात मिताई।
धूम मची चहुं ओर तभी अब,
         खाबत है सब साथ मिठाई।।

नाम जपो रघुनाथ भजो सब,
           तीर चला दस मस्तक छेदे।
काल कराल घमंड मिटाकर,
             जीत गए लंका गढ़ भेदे।।
पुष्पक बैठ उड़े रघुनंदन, 
          रावण राज विभीषण को दे।
चौदह साल बिताकर वापस,
            आज पधारे रहे मन मोदे।।

         सुजाता प्रिय 'समृद्धि'

Monday, November 6, 2023

दीपमालिका (दोहे)



दीपमालिका (दोहे)

सजी है दीपमालिका,घर आँगन और द्वार।
जगमग जगमग कर रही, रोशन है संसार।।

दीपमालिका देख लगे,सजे हुए हैं फूल।
भीनी-भीनी महक भी,देता मन अनुकूल।।

दीप उजाला कर रहा,हो जाए तम दूर।
मिट गया अंधेर यहाँ, रोशनी है भरपूर।।

दीपों की लड़ियांँ कहे,एकता रखो पास।
मन का तिमिर दूर करो, हृदय में रख उजास।।

दीपों से सीखें सभी, पर-हित का अहसास।
स्वयं है जलकर देता, दूसरों को प्रकाश।
              सुजाता प्रिय 'समृद्धि'

कर्ज (दोहे)



कर्ज (दोहे)

संतुष्ट भाव से रहें, नहीं लीजिए कर्ज।
जितना कर्जा खाइए,बढ़ता जाता मर्ज।।

कर्ज लोगों को करें,जीवन में कंगाल।
कर्ज न कोष भर सकता,चुकता ले खंगाल।।
     
किनारा कर्ज से करें,रहिए इससे दूर।
कर्ज लेकर न खाइए,चुकाना है जरूर ।।

कर्जा लेते लोग हैं, हरदम मुँह को घाल।
कर्ज चुकाने की घड़ी,मन में उठे मलाल।।

कर्जा लेने से रहें,मन में सदा विषाद।
कर्जा से झोली कभी, होय नहीं आवाद।।

               सुजाता प्रिय 'समृद्धि'

Friday, November 3, 2023

शब्द आधारित ( दोहे)

फूल भ्रमर गुलशन कली काँटे

उपवन में खिले हुए, सुंदर फूल हजार।
कह रहे सीखो हँसना, धरती कर गुलजार।।

रस लोलुप भ्रमर यहाँ,भुन-भुन गाता गान।
फूल-फूल पर बैठ कर,करता है रसपान।।

गुलशन देख महक रहा, फूल खिले चहुं ओर।
फूलों की खुशबू यहाँ, लेकर आता भोर । 

डाली में सुंदर कली, रही हवा संग डोल।
आगत दिन में मैं यहाँ,खिलूँ पंखुड़ी खोल।

काँटें रक्षा करें सदा,रह फूलों के पास।
काँटों के संग रहते,देते सदा सुवास।।

      सुजाता प्रिय 'समृद्धि'