हुआ सवेरा
हुआ सवेरा, छटा अँधेरा
आया स्वर्ण- विहान।
नीड़ में सोयी चिड़िया जागी,
गायी स्वागत- गान।
रंग - बिरंगे फूल खिलें है,
मुख पर ले मुस्कान।
रंग- बिरंगी उड़ी तितलियाँ,
कर रहे रस पान।
कली- कली पर भौरें गाते।
छेड़ मनोहर तान।
गैया जागी बछड़ा जागा,
शोभ रहा है बथान।
आओ हम सब भी कर लें,
कुछ नवल संधान।
सुजाता प्रिय 'समृद्धि'
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