Friday, February 21, 2025

हुआ सवेरा

हुआ सवेरा 

हुआ सवेरा, छटा अँधेरा
     आया स्वर्ण- विहान। 
नीड़ में सोयी चिड़िया जागी, 
      गायी स्वागत- गान। 
 रंग - बिरंगे  फूल खिलें है, 
     मुख पर ले मुस्कान। 
रंग- बिरंगी उड़ी तितलियाँ,
      कर  रहे  रस  पान। 
कली- कली पर भौरें गाते। 
       छेड़ मनोहर तान।
गैया जागी बछड़ा जागा, 
    शोभ रहा है बथान। 
आओ हम सब भी कर लें, 
      कुछ नवल संधान। 

  सुजाता प्रिय 'समृद्धि'

No comments:

Post a Comment