Wednesday, October 9, 2024

मन के रावण को फूको

मन के रावण को फूंको 

शहर के सबसे पुराने मैदान में,
   दस मीटर ऊँचा खड़ा दशानन।
      दस हजार जनों की भीड़ लगी है,
         रावण का पुतला आज होगा दहन।

राम वेश में ,खड़े मंत्री जी ने,
   बढ़ उसपर छोड़े अग्नि तीर।
      धूं - धूं - धुं कर जल उठा वह,
         खुश होकर उछली सारी भीड़।

साधु-संतों को खूब सताना,
   यज्ञ-विध्वंस कर शान दिखाना।
      मदिरा पीना, मांस को खाना,
         पर स्त्रियों को हरकर लाना।

उसकी  बुराइयाँ खाक हो जाए,
   हर साल पुतले हम जलाते हैं।
      पर इन सारी बुराइयों को हम,
         कभी मन से मार न पाते हैं।

कर सको तो,कर लो अपने,
   तुम मन के रावण का संहार।
      राम -सा पुरोषोत्तम बन जा,
         प्रफुल्लित होगा सारा संसार।

              सुजाता प्रिय 'समृद्धि'

No comments:

Post a Comment