बापू के सपने
बापू ने देखे थे सपने,भारत को आजाद कराने के।
एकता और भाईचारे का, एक सुंदर देश बसाने के।
शांत- समृद्ध भारत बनने के,सपने हम साकार करें।
कपट नहीं करुणा हो मन में, क्रोध त्याग कर प्यार करें।
जाति-धर्म का भेद मिटायें,गले लगायें हरिजन को।
छल-कपट को दूर भगाएं, स्वच्छ करें अपने मन को।
सुशिक्षित व सामर्थ्य रहेंगी ,यहाँ की सारी नारियांँ।
उनके हृदय में सदा ही फूटे,आत्मरक्षा की चिनगारियांँ।
यहाँ का हर मानव, अपने देश पे मिटने वाला हो।
यहाँ का बच्चा-बच्चा भारत माता का रखवाला हो।
हर बाधा को पार करें,लेकर हम हिम्मत से काम।
कठिन राह पर बढ़े चलें,जीत लें हम सारे संग्राम।
बढ़े चलें हम कठिन राह पर,मन में लेकर दृढ़ विश्वास।
स्वच्छता का अभियान चलाएं,पूरी हो बापू की आस।
मन से लालच दूर करें हम, करते जाएं दान सदा।
श्रेष्ठ जनों के हेतु हृदय में,रखें हम सम्मान सदा।
आओ प्रण लें बापू के हम,स्वप्न नहीं टूटने देंगे।
तीन रंग का झंडा वाला,ध्वज नहीं झुकने देंगे।
सुजाता प्रिय 'समृद्धि'
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