स्वाद का फेरा
भूल गए हम स्वाद पुराने।
चटपटे ब्यंजन लगे सुहाने।
दूध शर्बत व छाछ न पीते।
कोल्डड्रिंक्स-पेप्सी पी जीते।
अन्न-फल-मेवे नहीं सुहाते।
चाट - गोलगप्पे मन से खाते।
लिट्टी,पकौड़े,हलवा नहीं भाये।
पिज्जा-बर्गर मस्ती-से खाएं।
भाते न खाजा-लड्डू,बर्फी-पेड़े।
चॉकलेट-टॉफी में नहीं बखेड़े।
मुढ़ी- चना मुंगफली न खाते।
लेज कुरकुरे नूडल्स हैं भाते।
गुड़-राबा मधु-मिश्री न खाते।
च्युंइगम-गुटखा हैं रोज चबाते।
खीर मलाई पनीर नहीं मांगते।
आइसक्रीम के पीछे हैं भागते।
पूआ-गुझिया-खजूर न अच्छा।
ब्रेड-केक बिस्किट लगे सच्चा।
चाउमीन ने ऐसा किया कमाल।
भूले भुजिया-सब्जी रोटी- दाल।
पिट्ठे-पिठिया देख मुँह बनाते।
मोमो - पेटीज,गटागट खाते।
इनको खाकर खूब अकड़ते।
चाहे इनसे स्वास्थ्य बिगड़ते।
भूले अपने देशी-पोषक स्वाद।
फास्ट फूड खा हो रहे बर्बाद।
झटपट -चटपट के इन फेरे में।
घिर रहे बीमारियों के घेरे में।
सुजाता प्रिय 'समृद्धि'
बहुत ही सुन्दर सार्थक और भावप्रवण रचना
ReplyDeleteहार्दिक धन्यवाद
Deleteबहुत सुन्दर
ReplyDeleteआभार भाई!
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