हे माता पटनदेवी ( कृपाण घनाक्षरी )
माता खोलो ना कपाट,
तेरा भक्त जोहे बाट,
सारे विघ्न माँ दे काट,
भक्त खड़े तेरे द्वार।
खड़े भक्त हैं कतार,
आस लेकर हजार,
करते तेरी पुकार,
संकट से तू उबार।
पटना की महारानी,
पटनदेवी भवानी,
तेरी दुनिया दीवानी,
लाज रख इस बार।
तेरे नाम का नगर,
किसी को यहाँ न डर,
सब दुख लेती हर,
मात कर उपकार।
सुजाता प्रिय 'समृद्धि'
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